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चैत्यालय में दस दिनी पर्यूषण पर्व शुरु

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इटारसी। गणेश उत्सव के साथ चलने वाला जैन समाज का पर्यूषण पर्व मंगलवार से प्रारंभ हो गया है। इस अवसर पर पहली लाइन स्थित चैत्यालय में इस पर्व के दौरान होने वाले धार्मिक आयोजन हुए।
जैन समाज के दस दिवसीय पर्यूषण पर्व का मंगलवार को शुभारंभ हो गया। इस दौरान पहली लाइन स्थित चैत्यालय में शिखर पर नयी धर्मध्वजा चढ़ाई गई। इसके बाद भिलाई से आए प्रवचनकर्ता सुनील कुमार के प्रवचन हुए। उन्होंने कहा कि पर्यूषण पर्व महान अवसर होता है, इस समय समस्त जैन समाज के मन में अत्यंत उत्साह, जिनेंद्र देव की भक्ति कोमल परिणामों से युक्त होती है। जिस प्रकार पानी के सहयोग से मिट्टी मुलायम हो जाती है, ऐसे समय में किसान जो ज्ञानी होते हैं वह गेहूं को जमीन में फेंक देते हैं अज्ञानी कहता उसने गेहूं को व्यर्थ कर दिया। लेकिन ज्ञानी किसान उस बीजारोपण में लहलहाती फसल को देखता है। ऐसे समय ही हमारे कोमल परिणाम है। इस समय यदि सम्यक दर्शन का बीजारोपण हो जाए तो आगे चरित्र कि फसल लहलहाएगी और मोक्ष रूपी फल की प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि पर्यूषण पर्व 3 शब्दों से मिलकर बना है परी ऊषण पर्व। परी अर्थात दूर होना, ऊषण अर्थात दोष, पर्व अर्थात संधि काल ऐसा पर्व जिसमें दोष दूर हो रहे हैं और गुणों की प्राप्ति हो रही है यह आत्म शुद्धि का अवसर है इसमें आज उत्तम क्षमा का दिन है। मैं क्षमा स्वामी हूं यह मेरा गुण है और जो अंतर क्रोधित परिणाम है, वह विभाग है बहुत दूर किया जा सकता है।
जैसे वस्त्र बाहर सूखने डाले और बारिश हो जाए तो ऐसा कहने में आता है वस्त्र गीले हो गए जबकि देखा जाए तो गीलापन पानी में है वस्त्रों में नहीं व्यवहार ज्ञानी यह जानता है वस्त्रों में जो गीलापन दिखाई दे रहा है वह पानी का स्वभाव है ऐसे ही जो हमारे अंदर दिखाई दे रहे हैं वह कर्म संयोग से वह रहे हैं मेरा स्वभाव तो क्षमा है जो बिना कारण है ऐसा ज्ञानी जानते हैं और अज्ञानी अपने आप को क्रोधी मानता है यदि कोई व्यक्ति तीव्र क्रोध कर रहा है यदि उससे कहोगे भाई तुम क्रोध कर रहे हो तो वह कहेगा मैं कहां क्रोध कर रहा हूं तुम्हें लग रहा है।
आज वह पर्व है हमने अपने दोषों को जाना है और उन दोषों से प्रकट (मुक्त) होना है यह श्री गुरु महाराज का मंगल उपदेश है। इस दौरान श्री वेदी जी एवं धर्मशास्त्रों की संगीतमयी आरती समाज के लोगों ने की। दस दिवसीय इस क्षमा पर्व को लेकर समाज के वरिष्ठ सदस्य सतीश जैन ने बताया कि इन दस दिनों में भक्तिपूर्ण आयोजन के साथ ही समाज के बच्चों व युवाओं को धर्म संस्कारों की शिक्षा भी प्रदान की जाएगी।

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