इटारसी। कलम के जरिये ही देश को आजादी मिली है। पत्रकारिता समाज का दर्पण है। दर्पण को किसी भी धातु के फ्रेम में मढ़ दिया जाये तब भी वह अपना मूल धर्म नहीं छोड़ता। आईने के कितने भी टुकड़े कर दिये जायें तब भी वह वास्तविक चेहरा ही दिखायेगा। उक्त उद्गार रीवा संभाग के कमिश्नर डॉ. अशोक भार्गव ने सतना में आयोजित पत्रकार कल्याण परिषद् के प्रांतीय अधिवेशन में व्यक्त किए।
श्री भार्गव ने कहा कि हमारा स्वाधीनता संग्राम पत्रकारों की कलम के बिना कभी भी मुकम्मल नहीं हो सकता था। पत्रकारों ने अपनी कलम एवं दिमाग का उपयोग जन-जन में जागृति पैदा करने के लिये किया। उन्होंने कहा कि पत्रकार की परीक्षा हर रोज होती है। जब अखबार लोगों के हाथ में पहुंचता है, तो हजारों उसके परीक्षक और समीक्षक हो जाते हैं। सही समय पर खबर को खबर बनाना पत्रकारों की सबसे बड़ी चुनौती है। आज के परिवेश में मीडिया के क्षेत्र में कांतिकारी बदलाव आया है। आज खबरें किसी की बंधक नही रहीं, खबरें आजाद होकर पक्षियों की तरह उड़ान भर रहीं हैं।
रीवा संभाग के आईजी चंचल शेखर ने कहा कि लोकतंत्र में मीडिया का बड़ा महत्व है। पत्रकारिता का सफर आसान नहीं है। आज सोशल मीडिया ने पत्रकारिता का विकेन्द्रीकरण किया है, जिसका दायरा असीमित हो गया है। इसकी परिभाषा बदल गई है। पत्रकार प्रभावशीलता बनायें रखें, सच्चाई को प्रमुखता से दें तथा आर्थिक एवं निजी स्वार्थ को पत्रकारिता से दूर रखें। पूर्व विधायक शंकरलाल तिवारी ने कहा कि पत्रकार समाज को सुंदर बनानें और उन्नति के पथ पर चलनें के लिये प्रशासन एवं समाज को आईना दिखाते हैं। पूर्व महापौर राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता चुनौतीपूर्ण कार्य है। लेकिन इसके बाद भी हमारे पत्रकार संघर्षमय जीवन बिताते हुए इस कार्य को कर रहे है। महापौर ममता पांडे ने कहा कि वर्तमान दौर में पत्रकारिता जोखिम भरा कार्य हो गई है। लेकिन यह कार्य हमारे साथी कर रहे है।
पत्रकार कल्याण परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष बेदंाती त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकार राष्ट्रीय धर्म को निभाते हुए पत्रकारिता करें, स्वच्छ लेखन के कार्य का निर्वहन करें। उन्होंने ईमानदारी, निष्ठा, लगन से पत्रकारिता करनें तथा कलम को कभी कलंकित नहीं करनें की बात कही। पत्रकार कल्याण परिषद के प्रदेश अध्यक्ष शिव भारद्वाज ने कहा कि पत्रकारों की वर्तमान स्थिति तलवार की धार पर चलने जैसी हो गई है। सोशल मीडिया आने के बावजूद अखबारों की भूमिका कम नहीं होगी, क्योंकि प्रिंट मीडिया एक लिखित दस्तावेज होता है। इसकी विश्वसनीयता सबसे अधिक होती है। इस दौरान अतिथियों, संगठन के पदाधिकारियों, समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों का शाल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मान किया।