चित्रकूट। गोस्वामी तुलसीदास जी शान, भक्ति, बैराग्य और सौदर्य के अद्वितीय कवि हैं। तुलसी शोध संस्थान चित्रकूट में आयोजित तुलसी जयंती की दूसरी संध्या में ज.रा.भ. विकलांग विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ. योगेश दुबे ने गोस्वामी तुलसी दास के कृतित्व उनकी 12 रचनाओं में सौदर्याभिव्यक्ति पर सारगर्भित व्याख्यान देते हुए कहा। उन्होंने बताया रावण की प्रमुख रानी मंदोरी के लिए कहा-परम सुन्दरी नारी ललायन फिर अन्य महादेवियों के लिए शब्द कहा से लायेंगे उन्होंने मां भगवती पार्वती के लिए उन्होंने ‘सुन्दरता मरजाद भवनीÓ अर्थात या पार्वती सुन्दरता की अनन्त सीमा है किन्तु जगत जननी सीता जी के लिए कहा…
सुन्दरतौ कह सुन्दर करई।
छवि गृह दीपशिखा जनु बरई।।
प्रभु श्री राम के सौदर्य छवि और रावण की सुन्दर चित्रण किया है। श्री दुबे ने रामचरित मानस के सुन्दर वनो चित्रकूट के अद्भुत प्राकृतिक सौदर्य का भी आलौकित वर्णन किया है। सीधी से आये बघेली लोकगीतों में राम की मनोरम प्रस्तुति की इस दल का नेतृत्व श्री अरविन्द पटेल और अन्य साथी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की गई। बघेली भाषा में राम के जीवन का झांकी से दर्शन कराये। समारोह के समन्वय वक्ता प्रो. अवधेश प्रसाद पांडेय, पूर्व निदेशक, तुलसी शोध संस्थान चित्रकूट स्वागत भाषण और धन्यवाद ज्ञापित के साथ गोस्वामी जी व्याक्तिव एवं कृतित्व पर व्याख्यान दिया। शोध केन्द्र के रामेश्वर पटेल, राधामोहन मिश्र एवं समस्त कर्मचारियों की महती भूमिका निभाई।
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तुलसी शोध संस्थान में मनी तुलसीदास जयंती
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