---Advertisement---
City Center
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

देवल मंदिर से निकली रामजी की बारात

By
On:
Follow Us

इटारसी। नगर पालिका परिषद के तत्वावधान में चल रहे श्रीराम लीला एवं दशहरा उत्सव के अंतर्गत श्री देवल मंदिर पुरानी इटारसी से आज भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की बारात निकाली गई।
मंदिर में नगर पालिका उपाध्यक्ष अरुण चौधरी, विधायक प्रतिनिधि कल्पेश अग्रवाल, जयकिशोर चौधरी, सभापति राकेध जाधव, सरोज उईके, महेन्द्र चौधरी, पार्षद अरविंद चंद्रवंशी, विपुल चौधरी, नीलेश चौधरी, अनंत वर्मा, लीलाधर मनवारे आदि ने भगवान की पूजा अर्चना कर बारात को श्री रामलीला स्थल दशहरा मैदान के लिए बारात को रवाना किया। बारात मंदिर से मुख्य मार्ग होते हुए मैदान पर पहुंची जहां बारात की अगवानी की गई। रामलीला मंचन के तहत आज यहां श्रीराम विवाह उत्सव का आयोजन किया गया। बैंड और ढोल पर नगर के श्रद्धालु बाराती बनकर खूब नाचे। इस अवसर पर जमकर आतिशबाजी की गई।

श्रीराम को वनवास, भरत को गद्दी मांगी
गांधी मैदान पर श्री बाल कृष्ण लीला संस्थान वृंदावन के कलाकारों ने महंत प्रभात कुमार श्यामसुंदर शर्मा के मार्गदर्शन में चल रही रामलीला में आज मंथरा-कैकई संवाद, दशरथ-कैकई संवाद, राम-कैकई संवाद के साथ ही वनवास का मंचन किया गया। जब जनकनंदनी सीता ने श्रीराम के साथ वनवास जाने की इच्छा प्रकट की तो श्रीराम ने उनको वन के कष्टों की जानकारी देकर समझाइश दी। इस दौरान वनवास के बाद श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के निशादराज के यहां तक पहुंचे की लीला का मंचन किया।

राम को राज्य का ख्याल आया
श्रीराम सहित अपने चारों पुत्रों का विवाह संपन्न कराने के बाद एक दिन महाराज दशरथ दर्पण देख रहे थे कि उन्हें अपने कान के पास कुछ सफेद बाल दिखाई दिए तो उन्हें चिंता होने लगी। उन्होंने गुरु वरिष्ठ को बुलाकर कहा कि गुरुवर अब वक्त आ गया है कि राम को राज्य सौंप दिया जाए। गुरु वशिष्ठ कहते हैं कि राजन यह उत्तम विचार है। इसके बाद राम को राज्याभिषेक की घोषणा होती है, पूरी अयोध्या नगरी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इधर महारानी कैकई की दासी मंथरा को जब यह खबर लगती है कि राम को राज्य मिलने वाला है तो उसे बात पसंद नहीं आती है। वह जाकर रानी कैकेई के कान भरकर महाराज दशरथ से वरदान मांगने को कहती है। मंथरा की चाल सफल होती है और महारानी कैकई कोप भवन में चली जाती है।
उक्त प्रसंग का सुंदर वर्णन श्री बालकृष्ण लीला संस्थान वृंदावन के कलाकारों द्वारा किया गया। लीला को आगे बढ़ाते हुए आज श्रीराम के वनवास का प्रसंग काफी प्रभावी ढंग से पेश किया। महाराज दशरथ को रानी कैकई के कोप भवन में जाने की जानकारी मिलती है तो वे इसका कारण जानने जाते हैं। कैकई उनसे दो वर मांगती है, सुनकर दशरथ को काफी दुख होता है। श्रीराम को पता लगता है तो वे अपने पिता से कहते हैं कि मां की इच्छा वे अवश्य पूर्ण करेंगे। अपने पिता को श्रीराम ढांढस बंधाते हुए कहते हैं कि वे शोक न करें, चौदह वर्ष जल्दी बीत जाएंगे। गांधी मैदान और पुरानी इटारसी के सूखा सरोवर मैदान पर रामलीला मंचन को देखने इस वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement
error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.