इटारसी। लगातार गिरते जलस्तर को देखते हुए वक्त है, कम पानी और अधिक मुनाफा देने वाली फसलों का चयन किया जाए। अपनी परंपरागत फसल के साथ वैकल्पिक फसल की ओर किसान जाएगा तो उसकी आय भी बढ़ेगी और उसे कर्ज भी नहीं लेना पड़ेगा। कुछ इसी सोच को आगे बढ़ा रहा है, बाबई ब्लाक के ग्राम वंशीखैरी का एक युवा किसान। इस युवा ने अपने खेत में सफेद चंदन की फसल लगायी है।
बाबई के एक छोटे से गांव वंशीखैरी का युवा किसान नीलेश चौहान ने लगातार गिरते जल स्तर और अपनी आय बढ़ाने के कारण वैकल्पिक फसल की ओर कदम बढ़ाए हैं। इस फसल से उसे एक से डेढ़ करोड़ रुपए की आय आगामी डेढ़ दशक बाद होने का अनुमान है। नीलेश ने अपने खेत में करीब साढ़े चार सौ सफेद चंदन के पौधे लगाए हैं। यह जिले का पहला चंदन प्लांटेशन कहा जा सकता है।

हायर सैकंड्री तक शिक्षित नीलेश ने कृषि में आय बढ़ाने का उद्देश्य लेकर वैकल्पिक फसल की ओर कदम बढ़ाया और सफेद चंदन के लिए महाराष्ट्र के लातूर और औरंगाबाद पहुंचा जहां उसने चंदन की खेती को देखा और समझा। उसने गुजरात के आनंद शहर से 240 रुपए प्रति पौधे की दर से साढ़े छह सौ पौधे खरीदे और अपनी भूमि पर लगाए। इनमें से मवेशियों ने जब करीब दो सौ पौधे नष्ट किए तो उसने सोलर फैंसिंग लगायी जिसमें हल्का सा करंट होता है और टच करने पर झटका देता है तो मवेशी भाग जाते हैं। हालांकि इससे मानव या मवेशी को हानि नहीं होती है। नीलेश के अनुसार चंदन के पौधों को चार साल की उम्र तक पानी की विशेष आवश्यकता होती है, चौदह वर्ष में पौधा परिवक्त हो जाता है तो पानी की जरूरत नहीं होती। नीलेश ने चंदन के बीच चना, मटर आदि की फसल भी ली है ताकि खर्च निकलता रहे। नीलेश ने बताया कि आने वाले समय में घटते जलस्तर के कारण हम जो फसल लेना चाहें, वह ले नहीं पाएंगे, इसलिए उन्होंने चंदन लगाने की तरफ कदम बढ़ाए हैं।