---Advertisement---
City Center
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]

पूर्ण आहुति के साथ चल रहे शतचंडी महायज्ञ का समापन

By
On:
Follow Us

भक्तों ने की परिक्रमा, मां के दर्शन किए, बच्चों ने उठाया झूलों का लुत्फ
इटारसी। आज यज्ञमंडप में बने हवन कुंड में पूर्ण आहुति के साथ ही विगत एक सप्ताह से यहां शक्तिधाम श्री बूढ़ी माता मंदिर में चल रहे श्री शतचंडी महायज्ञ का समापन हो गया। हजारों भक्त मंदिर परिसर में हर वर्ष लगने वाले इस मेले के साक्षी बने। मंदिर में मां धूमावती के दर्शन किए, यज्ञ मंडप की परिक्रमा की, महाआरती में शामिल हुए और फिर भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। भजन गायक बसंत बतरा ने यहां देवी भजनों का कार्यक्रम किया जिसमें भक्तों ने मां के जयकारे लगाए और भजनों का आनंद उठाया।
समापन दिवस पर सुबह से भक्तों ने मंदिर में जाकर मां की आराधना की। दोपहर से यहां भक्तों की भीड़ बढऩे लगी थी। दोपहर बाद पूर्णाहुति में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। शतचंडी महायज्ञ में रोजाना सैकड़ों श्रद्धालुओं ने यज्ञ शाला की परिक्रमा की। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में लगे मेले का आनंद भी उठाया। पूर्णाहुति के दौरान मप्र विधानसभा के अध्यक्ष डॉ.सीतासरन शर्मा ने भी पहुंचकर यज्ञ में आहुति डाली। शाम से देर रात तक चले भंडारे में हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।

it30118 8

51 क्विंटल खाद्य सामग्री से भंडारा
मंदिर समिति के जगदीश मालवीय ने बताया कि श्री बूढ़ी माता मंदिर में श्री शतचंडी महायज्ञ के समापन पर भक्तों के लिए भंडारा किया गया है। भक्तों की बड़ी संख्या को देखते हुए मंदिर समिति ने 20 क्विंटल आटे की पूड़ी, 25 क्विंटल सब्जी, 2 सौ किलो कढ़ी, सौ किलोग्राम नमकीन, सौ किलो सूजी का हलवा और डेढ़ क्विंटल चावल बनवाए थे। शाम से देर रात तक हजारों भक्तों ने यहां आकर भोजन प्रसादी ग्रहण की।

it30118

चार दशक से अधिक से चल रहा आयोजन
श्री बूढ़ीमाता मंदिर मालवीयगंज में श्री शतचंडी महायज्ञ का आयोजन विगत चार दशक से भी अधिक समय से चल रहा है। श्री बूढ़ी माता मंदिर की अपनी बेवसाइट है, जिसमें मंदिर और शतचंडी महायज्ञ के विषय में विस्तृत जानकारी है। बेवसाइट के अनुसार सन् 1975 में वीरान पड़े इस स्थान पर एक छोटी मढिय़ा थी। निर्जन, सुनसान इलाके में स्थित इस मढिय़ा के जीर्णोद्धार की मंशा से यहां प्रथम बार श्री शतचंडी महायज्ञ कराने का निर्णय लिया था। उस वक्त सालगराम पगारे और बम बहादुर के साथ डॉ. राजेंद्र अग्रवाल और दुष्यंत अदलिया, हरकचंद मेहता ने भावसार बाबू के सामने मंदिर में जीर्णोद्धार कराने के लिए यहां शतचंडी महायज्ञ कराने की भावना रखी। भावसार बाबूजी की सहमति के बाद सभी ने विश्वनाथ दादा से इसमें मदद का अनुरोध किया। दोनों की मदद और इन भक्तों के काम के आधार पर सन 1975 में श्री बूढ़ी माता मंदिर में शतचंडी महायज्ञ की नींव पड़ी।
यज्ञ की शुरूआत भावसार दादा के यहां महाकाली दरबार से होती है। यहां पूजा अर्चना के बाद यज्ञ की ज्योत जलाई जाती है। 31 कलश यात्रा यहीं से प्रारंभ होती है। इन कलशों की स्थापना यज्ञशाला में की जाती है जो अंतिम दिन यज्ञ समाप्ति के बाद श्रद्धालु लेकर जा सकते हैं। चार दशक पूर्व डाली गई नींव का परिणाम है कि आज श्री बूढ़ी माता मंदिर में होने वाले इस महायज्ञ में हर वर्ष इटारसी, होशंगाबाद और आसपास के हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement
error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.