फर्जी फायनेंस कंपनियों पर कसी जाएगी नकेल

Post by: Manju Thakur

जीएन डेयरी, गोल्ड, एनएनसीएल के निवेशकों के अलावा भी अन्य निवेशक आ रहे
निवेशकों का आंकड़ा तीन हजार पार
तीन दिन का समय बढ़ाया एसडीएम ने
पांच करोड़ से अधिक राशि फंसी है
इटारसी। जीएन डेयरी, जीएन गोल्ड और एनएनसीएल के करीब पांच हजार निवेशकों के पांच करोड़ रुपए कंपनी के भाग जाने से फंस गए हैं। प्रशासन की मदद से इन निवेशकों की फंसी राशि वापस दिलाने के प्रयासों के दौरान पता चला है कि इनके अलावा भी अन्य कंपनियां हैं जो निवेशकों के पैसे लेकर भागी है। ऐसी कंपनियों पर भी अब नकेल कसने की तैयारी चल रही है।
शहर के अधिवक्ता रमेश के साहू इस निवेशकों की राशि दिलाने सामने आए हैं। श्री साहू ने माना की इन कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों के निवेशक भी इस दौरान सामने आए हैं, और उनके लिए भी लड़ाई लडऩे की तैयारी है, लेकिन वे उन कंपनियों के नाम उजागर करने से फिलहाल परहेज कर रहे हैं। उनका कहना है कि अभी तैयारी चल रही है, जल्द ही इसका खुलासा किया जाएगा।
it10317 (6)जीएन डेयरी, जीएन गोल्ड एवं एनएनसीएल के निवेशकों के सत्यापन के तीसरे दिन करीब तीन हजार से ज्यादा निवेशक अपनी पॉलिसी जमा करा चुके हैं। जिस हिसाब से पूछताछ हो रही है, माना जा रहा है आंकड़ा 5 हजार से अधिक होगा। एसडीएम इटारसी द्वारा सत्यापन के लिये तीन दिन अर्थात 2-3 एवं 4 मार्च 2017 तक की समय अवधि बढ़ा दी है ताकि शेष निवेशकों का दावा पेश हो सके।
अधिवक्ता रमेश के साहू ने बताया कि कंपनी के इटारसी कार्यालय से जिन निवेशकों की पॉलिसियां जारी की गई हैं वे अब तीन दिन और अपने दावे पेश कर सकते हैं। पांच अधिवक्ता और 20 विशेष सहायकों की टीम के माध्यम से वृहद स्तर पर चिटफंड कंपनी के पीडि़त निवेशकों के दावे पेश कराये जा रहे हैं ताकि कंपनी से राशि की वसूली हो सके।
इनका कहना है…!
निवेशकों की पूछ परख और छह ग्रामीण क्षेत्रों की जनता की समस्या को देखते हुये जीएन डेयरी, जीएन गोल्ड एवं एनएनसीएल कंपनी के दस्तावेजों का सत्यापन और राशि के आकलन का कार्य तीन दिन और बढ़ाया जा रहा है अब निवेशक 2, 3 और 4 मार्च 2017 को भी कार्यालयीन दिवस में अपने दावे पेश कर सकते हैं।
अभिषेक गहलोत, एसडीएम इटारसी
मध्यप्रदेश निक्षेपकों के संरक्षण का अधिनियम 2000 चिटफंट कपंनी के फर्जीवाड़े पर लगाम लगाने के लिये ही बनाया गया है और प्रभावी रूप से क्रियान्वयन करके निवेशकों के हितों का संरक्षण किया जा सकता है किन्तु चिटफंड कंपनियां सक्षम प्राधिकारी को सूचना दिये वगैर राशि जमा कराने का कार्य करती हैं और उनके भाग जाने पर प्रशासन को खबर होती ह इस पर सजगता जरूरी है।
ऐश्वर्य आर साहू, अधिवक्ता हाईकोर्ट जबलपुर

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