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माना गांव में अभी भी नहीं मिली है 94 परिवारों को ज़मीन

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मानव अधिकार दिवस पर कुबड़ाखेड़ी, छीरपानी, जमानी, मानागांव पहुंची यात्रा
इटारसी। धरती पर इंसानों के साथ पशु, पंछी, जीव-जंतु, नदियों, पहाड़ों का सबका अधिकार है। मानवीय अधिकारों में विस्तार करके जब हम सभी को शामिल करेंगे तभी हमारा अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस मनाना सही मायने में सार्थक होगा। जंगल में रह रहे जानवरों के अधिकारों को छीन कर, नदियों को ख़त्म कर, पहाड़ों को अपने स्वार्थ के लिए बर्बाद कर मानव अधिकार नहीं पाया जा सकता। वहीं जानवरों के नाम पर आदिवासियों को जंगल से हटा देना, जंगल चाहिए जंगल चाहिए के नाम पर कुछ लोगों को लाभ देना भी मानव अधिकार नहीं है। मानव अधिकारों में सभी के अधिकारों को शामिल कर सकें, इसी के विस्तार के लिए जय जगत यात्रा है। जय जगत यात्रा के 70 वे दिन होशंगाबाद जिले के छीरपानी प्राथमिक विद्यालय में सभी को मानव अधिकार दिवस के अवसर पर राजगोपाल पी व्ही ने सभी को संबोधित किया।
मंगलवार सुबह पथरौटा से विदा लेकर जमानी के लिए प्रस्थान किया। छीरपानी गांव से पहले सभी पदयात्री कुबड़ाखेड़ी गांव पहुंचे जहां सरपंच दुर्गा मेहरा, चौकीदार भागीरथ मेहरा की उपस्थिति में ग्रामवासी सीता आसरे ने बताया की गांव में ही नगरपालिका ने डंप एरिया बना दिया है जिससे जीवन दूभर हो गया है, मानवाधिकारों में एक स्वच्छ और स्वस्थ जीवन सभी का अधिकार है। जिसपर सभी का हक़ है। यात्रा विस्थापित गांव माना गांव पहुंची जहां बोरी रेंज से विस्थापित 94 परिवारों को अभी भी घरों और खेती के लिए ज़मीन नहीं प्राप्त हुई है। माना के दिलीप ने बताया कि सरकार अगर चाहे तो हमारी समस्या समाप्त हो सकती है। लेकिन विस्थापित हुए 3 साल हो चुके हंै और अब तक कोई समाधान नहीं मिला है। वही गरीबी रेखा कार्ड भी परिवारों को नहीं मिला है। दूसरे गांव में ज़मीदार और किसान रहे सभी 94 परिवार मजदूर बनकर रह गए हैं, और मजदूरी भी हर दिन न मिलने की वजह से बच्चों को पालना, परिवार चलना मुश्किल है। विश्व मानव अधिकार दिवस के दिन सभी पदयात्रियों ने कुबरखेड़ी, माना जैसे गांव में सभी समस्याओं को समझा है। और एक नए उम्मीद और आशा के साथ सरकार के दृष्टि में यह सभी मुद्दे को उठाएंगे।
रात्रि विश्राम सभी पदयात्री श्रमदान और स्थानीय सहयोग से प्लान कर बनाये बसाए गांव जमानी में करेंगे। इस गांव को गांधी के सपने का गांव कहते हैं जिसे पंडित रविशंकर दुबे ने बसाया है, जहां सर्वधर्म समभाव से सभी एक साथ रहते हैं। देश में किसी भी समय हुए विषम परिस्थितियों में भी जमानी गांव ने एकता और भाईचारा का मिसाल दिया है। जमानी गांव में स्वागत के दौरान हेमन्त दुबे, जितेंद्र सिंह कंसाना, पूर्व विधयक सिवनी मालवा ओम रघुवंशी, सुनील वर्मा, डॉ बहादुर चौबे वहीं छीरपानी के दौरान सभी शिक्षकों और बच्चों के साथ विजय चौधरी बाबू मौजूद रहे। इस अवसर पर आरवी चौधरी, सम्राट तिवारी, आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर अध्यक्ष बलदेव तेकाम, लाल बाबा, हेमू पटेल, जमानी सरपंच माखन इवने, सचिव ज्योति चिमानिया, लच्छीराम भलावी, सुभाष दुबे, मीडिया प्रभारी विनोद बारिबा यात्रा में साथ रहे। जमानी में दुबे परिवार की ओर से भोजन की व्यवस्था की गई थी। सुरक्षा व्यवस्था में एसडीओपी उमेश द्विवेदी, थाना प्रभारी पथरोटा प्रज्ञा शर्मा पूरी टीम के साथ सहयोग सहयोग कर रहे हैं।
जय जगत यात्रा 2 अक्टूबर 2019 से शुरू हुई है। महात्मा गांधी और कस्तूरबा के 150वी जन्म शताब्दी के वर्ष पूरी दुनिया में शांति और अहिंसा के संदेश को पहुंचाने के लिए यह यात्रा 10 देशों से पैदल यात्रा करते हुए 12 हज़ार किलोमीटर की पैदल यात्रा करेगी। भारत में यह यात्रा 4 महीने चलेगी। गरीबी उन्मूलन, असमानता ख़तम हो, जलवायु संकट और हिंसा को रोकने जैसे 4 मुद्दे को लेकर 50 पदयात्री पूरे साल पैदल यात्रा करेंगे। अगले वर्ष अक्टूबर 2020 को यह यात्रा जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के सामने समाज के आखिऱी व्यक्ति के न्याय और पूरी दुनिया में शांति की बात रखेंगे। इस यात्रा में 10 देशों और भारत के 18 अलग अलग राज्यों से पदयात्री इस संदेश के साथ आगे बढ़ रहे हैं। दुनिया के अलग अलग देशों के फ्रांस से लैहौंज, स्पेन से क़ाबियर, केन्या से सिडनी, न्यूजीलैंड से बेंजामिन, एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणसिंह परमार, राजस्थान से जयसिंह जादौन, छत्तीसगढ़ से निर्मला, छिंदवाड़ा से मुदित श्रीवास्तव, भिंड से नीरू दिवाकर, भोपाल से शाहबाज़ ख़ान, खुशबू चौरसिया, सतीश राज आचार्य, उतरप्रदेश से आसिमा, बिहार से सन्नी कुमार, गुजरात से पार्थ, तमिलनाडु से श्रुति, केरल से अजित आदि पूरे 50 पदयात्री अगले साल जिनेवा पहुंचेंगे।

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