इटारसी। आज रंगपंचमी पर्व पर मस्ती, उल्लास के साथ ही पांच दिवसीय होली महोत्सव का समापन हो गया। आज हुरियारों ने जमकर रंग-गुलाल उड़ाया। रंगों का पर्व रंगपंचमी पर आज उन हुरियारों की टोलियों में खासा उत्साह रहा जिन्होंने धुलेंडी के मौक पर रंगों की बौछार नहीं की। आज रंगपंचमी का पर्व अपेक्षाकृत फीका ही रहा। पहले की तरह हुरियारों की टोली नहीं थी, सड़कों पर रंगों के ड्रम भी कुछ ही जगह पर थे, बाइकर्स की टोली नदारद थी, अलबत्ता कुछ संगठनों ने अवश्य रंगपंचमी की रस्म निभाई और अपने साथियों के साथ रंगों का पर्व मनाया।
होलिका दहन और रंगों भरी होली के पांचवें दिन आज रंगपंचमी का पर्व उत्साह से मनाया। हुरियारों की टोली ने एक-दूसरे को रंग लगाने के अलावा आसमान में भी रंग उड़ाया। मान्यता है कि इस दिन एक-दूसरे के साथ नहीं बल्कि भगवान के साथ होली खेली जाती है। इस दिन आसमान पर रंग फेंककर सकारात्मक माहौल बनाया जाता है, जिसे भगवान के आशार्वाद के तौर पर देखा जाता है।
दोपहर बाद दिखा उत्साह
दोपहर बाद रंगपंचमी पर्व का कुछ उत्साह दिखा। सुबह से दोपहर तक बाजार में दुकानें खुलीं तो दोपहर बाद ज्यादातर दुकानें बंद हो गईं थी। इस शहर की परंपरा है कि रंगपंचमी का पर्व दोपहर के बाद ही मनाया जाता है। सुबह से दोपहर तक बाजार में रोनक रहीं और दोपहर बाद युवाओं की कुछ टोलियां सड़कों और चौक-चौराहों पर रंगों से से पुते चेहरे लेकर घूमती दिखाई दी। कुछेक बाइकर्स भी अपनी टोली के साथ रंगपंचमी मनाते हुए दिखाई दिए। दोपहर से लेकर शाम तक युवाओं की अलग-अलग टोलियां शहर में रंगपंचमी का पर्व मनाते हुए दिखाई दी और रंगपंचमी के समापन के साथ ही पांच दिवसीय होली पर्व का समापन भी हो गया है।
पत्रकारों ने मनायी रंगपंचमी
पत्रकारों ने आज सुबह से दोपहर तक रंगपंचमी का पर्व मनाया। श्री प्रेमशंकर दुबे स्मृति पत्रकार भवन में सुबह से पत्रकार जुटने लगे थे। सुबह 11 बजे से ढोल की थाप पर पत्रकारों ने एकदूसरे को गुलाल मलते हुए पर्व का आनंद उठाया और जमकर नृत्य किया। यहां करीब एक घंटा नाचने के बाद पत्रकारों की टोली जयस्तंभ चौक पहुंची और यहां भी खूब नाचे और जमकर गुलाल उड़ाया। इस दौरान आरएमएस चौराह, चिकमंगलूर चौराह, रेस्ट हाउस के सामने पत्रकारों ने जमकर डांस किया। जयस्तंभ चौक पर करीब आधा घंटा रंगपंचमी मनाने के बाद पत्रकारों की टोली वापस पत्रकार भवन आयी और यहां फिल्मी गीतों पर भी पत्रकार खूब थिरके।
रंगपंचमी की पौराणिक मान्यता
रंगों का यह पर्व चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इसलिए इसे रंगपंचमी कहा जाता है। इस पर्व को लेकर पौराणिक मान्यता है कि रंगों के जरिए रज-तम के प्रभावों को कम कर सात्विक स्वरूप निखरता है। इस दिन आसमान में उड़ाए जाने वाले रंग से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं, क्योंकि हरेक कण में सकारात्मक तरंगे पूरे माहौल में ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। साथ ही यह भी मान्यता है कि आसमान से उड़ते रंग के जरिए भगवान भक्तों को आशीर्वाद भी देते हैं। रंगों का यह पर्व चैत्र मास की कृष्ण प्रतिपदा से लेकर पंचमी तक चलता है, इसलिए इसे रंग पंचमी कहा जाता है। इसे फाल्गुन पूर्णिमा से शुरू हुए होली पर्व का समापन पर्व भी मानते हैं।