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व्यवस्थाएं पूर्ण, गुरुवार को होगा तिलकसिंदूर मेले का उद्घाटन

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इटारसी। महाशिवरात्रि के अवसर पर लगने वाला तिलकसिंदूर मेले का उद्घाटन गुरुवार की शाम 4 बजे किया जाएगा। तहसीलदार तृप्ति पटेरिया ने बताया कि मेले की ज्यादातर व्यवस्थाएं पूर्ण कर ली गई हैं। गुरुवार, 20 फरवरी की शाम को 4 बजे प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में तीन दिवसीय मेले का उद्घाटन होगा। 21 फरवरी को मुख्य मेला रहेगा तथा 22 को इसका समापन होगा।
तिलक सिंदूर में लगने वाले मेले की प्रशासनिक तैयारियां अंतिम चरण में है। तिलक सिंदूर तक जाने और वापसी के मार्ग पर लोक निर्माण विभाग दुरुस्तीकरण कार्य कर रहा है। कल तक व्यवस्थाएं लगभग पूर्ण होने की उम्मीद की जा रही है। तिलक सिंदूर मेले की व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासनिक अधिकारी पिछले पांच दिनों से लगातार वहां का दौरा करके व्यवस्थाओं पर नजर रख रहे हैं।

कल उद्घाटन, 22 को समापन
गुरुवार की शाम को 4 बजे गुफा मंदिर के सामने मैदान में लगने वाले महाशिवरात्रि मेले का उद्घाटन प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में हो जाएगा। 21 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर मुख्य मेला लगेगा। यहां बाजार का ले आउट डाला जा चुका है और दुकानें गुरुवार को लगना प्रारंभ हो जाएंगी। मेले में मिठाई, प्रसाद, नारियल, लड्डू, मनिहारी की दुकानों के अलावा बच्चों के खिलौने, झूले भी होंगे। इसके अलाव पशु पालकों के लिए भी सामग्री बिकने आती है।

सुरक्षा, चिकित्सा व्यवस्था रहेगी
जिले के सबसे बड़े आदिवासी मेले में दो दिन में एक लाख से अधिक श्रद्धालु गुफा मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। जंगल के रास्ते लोग दुपहिया, चार पहिया वाहन, ट्रैक्टर ट्रालियों से पहुंचते हैं। रास्ते में जगह-जगह फलाहारी प्रसाद की व्यवस्था कई संस्थाएं करती हैं। मेले में सुरक्षा के लिए पथरोटा, इटारसी सहित अनुविभाग के अन्य थानों से पुलिस बल होता है तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सुखतवा के अंतर्गत चिकित्सा टीम भी वहां मौजूद रहती है।

आने-जाने के लिए दो मार्ग रहेंगे
तिलकसिंदूर में एकल मार्ग व्यवस्था रहेगी। जमानी-तिलकसिंदूर मार्ग जाने और वापसी में भक्तों को खटामा, अमाड़ा होते हुए तीखड़ होकर मुख्य मार्ग पर आना होगा। खटामा होकर लौटने के रास्ते को मेला से पूर्व लोक निर्माण विभाग की मदद से दुरुस्त किया जाएगा। तिलकसिंदूर में लगने वाले महाशिवरात्रि मेले में जाने और वापस लौटने के लिए दो अलग-अलग मार्गों को तैयार किया जा रहा है। जाने का मार्ग तो ठीक है, वापसी का मार्ग पीडब्ल्यूडी द्वारा दुरुस्त किया जा रहा है।

तिलक सिंदूर का दर्शन
इटारसी तहसील के ग्राम जमानी से लगभग 8 किलोमीटर दक्षिण दिशा में सतपुड़ा पर्वत पर घने जंगलों के बीच स्थित है तिलक सिंदूर का शिव मंदिर। शिवालय सतपुड़ा की लगभग 250 मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जिसके आसपास सागौन, साल, महुआ, खैर आदि के हजारों पेड़ लगे हैं। यहां का मुख्य आकर्षण छोटी धार वाली हंसगंगा नदी और इसके दोनों किनारों पर लगातार कतारबद्ध पेड़ हैं। गोंडकालीन परंपरा शिवालय में किस प्रकार चली आ रही है इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। इस मंदिर में शिवरात्रि के अवसर पर भोमका (गोंड आदिवासियों का पुजारी) ही पूजा कराता है, कहा जाता है कि गोंड राजाओं द्वारा भोमका को इस शिवालय की पूजन के लिए अधिकृत किया था। यही परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चल रही है।

प्राचीनकाल से लगता मेला
तिलकसिंदूर में प्राचीन काल से मेला लगता है, इसमें क्षेत्रीय संस्कृति के दुर्लभ दर्शन अत्यंत सुगमता से होते हैं। मेला भरने का मुख्य कारण यहां प्रतिवर्ष होने वाला यज्ञ है। यहां गुफा मंदिर के बायीं ओर पहाड़ी पर ऊपर पार्वती महल का निर्माण सन् 1971 में प्रारंभ हुआ। इसका शिलान्यास सन 1971 में जमानी के पूर्व मालगुजार पंडित पुरुषोत्तमलाल दुबे ने किया था। क्षेत्र की जनता के अपार सहयोग से इस भवन का निर्माण कार्य 1972 में पूर्ण हुआ। इस गुफानुमा मंदिर में इसी सन् में मां पार्वती, मां दुर्गा एवं श्री गणेश जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस कार्य के पूर्ण होने तक न ही इसमें जिला प्रशासन ने कोई सहयोग दिया और ना ही जनपद ने। सारा कार्य क्षेत्र की जनता के सहयोग से पूर्ण हुआ।

ऐसे पहुंचे तिलक सिंदूर 
तिलक सिंदूर मंदिर तक पहुंचने के लिए इटारसी से जमानी तक पहुंचना होता है। जमानी से तिलक तक करीब 8 किमी की पक्की सड़क है, जो सीधे मंदिर परिसर तक पहुंचती है। स्थानीय मान्यता के अनुसार पास की गुफा से एक सुरंग पचमढ़ी के निकट जम्बूद्वीप गुफा तक जाती है। यह सुरंग भस्मासुर के स्पर्श से बचने के लिए भगवान शिव द्वारा तैयार किया जाना बताया जाता है। कठिन एवं दीर्घ तपस्या के बाद भगवान शिव ने भस्मासुर को वरदान दिया था कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा वह भस्म हो जाएगा। भस्मासुर को वरदान मिलने पर उसने भगवान शिव पर ही उसका उपयोग करना चाहा तो भगवान शिव खुद को बचाते हुए वहां से भाग निकले थे। मान्यता है इस स्थान से गुजरने के दौरान ही उन्होंने तिलक सिंदूर गुफा का निर्माण किया तथा उससे पचमढ़ी तरफ निकले थे। इस मान्यता के कारण इस स्थान का धार्मिक महत्व और बढ़ गया है।

इनका कहना है…!
व्यवस्थाएं कल तक पूर्ण हो जाएंगी। वापसी के लिए मार्ग कुछ जगह से खराब है, जिसे लोक निर्माण विभाग द्वारा दुरुस्त किया जा रहा है। सारी व्यवस्थाएं कल दोपहर तक पूर्ण कर ली जाएंगी।
हरेन्द्रनारायण, एसडीओ राजस्व

गुरुवार की शाम को 4 बजे तिलक सिंदूर में महाशिवरात्रि मेले का उद्घाटन प्रशासन द्वारा किया जाएगा। पार्किंग और मंदिर की व्यवस्था के लिए नीलामी हो चुकी है। गुरुवार को बाजार की व्यवस्था भी हो जाएगी।
तृप्ति पटेरिया, तहसीलदार इटारसी

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