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शब्दांजलि : मौत जिसके चूमती है पांव वो किरदार हूं मैं  

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इटारसी। मौत दबे पांव आती है, इस भ्रम को अटल जी के निर्वाण ने तोड़ा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली की हलचल ने मौत के पहले के 150 घंटों में यह स्पष्ट कर दिया था कि भारत मां के सपूत और सरस्वती के वरद पुत्र अब शरीर छोड़कर हमारे बीच में से जा रहे हैं। अटल जी सदैव भारत भूमि के कण-कण में रहेंगे उन्हें यह देश कभी भुला नहीं पाएंगा।
होशंगाबाद जिला पत्रकार संघ द्वारा श्री प्रेमशंकर दुबे स्मृति पत्रकार भवन में आयोजित शब्दांजलि कार्यक्रम में विषिष्ट अतिथि सुरेश दुबे (पूर्व मुख्य नगरपालिका अधिकारी) सुरेश उपाध्याय सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार की उपस्थिति में एवं गीतकार डॉ. विनोद निगम की अध्यक्षता में पत्रकार संघ के अध्यक्ष प्रमोद पगारे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए यह बात कहीं। आयोजन में साहित्यकारों ने बड़ी संख्या में शिरकत की और समय की पाबंदी होने के कारण कई साहित्यकार अटल जी को शब्दांजलि नहीं दे पाए, जिसके लिए पत्रकार संघ ने क्षमा मांगी। वे नागरिक बड़ी संख्या में शब्दांजलि कार्यक्रम में उपस्थित हुए जिनका शहर में कोई बड़ा नाम या बड़ी पहचान नहीं है।
प्रथम चरण में शब्दांजलि के प्रारंभ होने के पूर्व औपचारिक कार्यक्रम की शुरूआत आयोजक पत्रकार संघ के अध्यक्ष प्रमोद पगारे ने की, और नर्मदांचल में अटल जी को पत्रकार संघ द्वारा शब्दाजंलि देने के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। पत्रकार संघ के सचिव शिव भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में कहा कि अटल जी साहित्यकार के अलावा एक बड़े पत्रकार भी थे, और वो जो कुछ लिखकर गए हैं वह आने वाली पीढ़ी के लिए अमृत कलश के समान है। विशिष्ट अतिथि पूर्व मुख्य नगरपालिका अधिकारी सुरेश दुबे ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन सादगी से परिपूर्ण था और उन्होंने जीवन भर गरीबों के विकास के लिए ही कार्य किया। वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश उपाध्याय ने अटल बिहारी वाजपेयी को शब्दाजंलि देते हुए कहा कि अटल जी सदैव हमारे बीच में रहेंगे। गीतकार विनोद निगम ने कहा कि ग्रीष्म काल में वृक्ष से पहले पुराने पत्ते गिरते हंै और फिर नई कोपलें आती है। अटल जी पुन: नई कोपल के रूप में इस धरती के कण़-कण़ में रहेंगे।
जिला पत्रकार संघ के कार्यकारी अध्यक्ष विनय मालवीय, सचिव शिव भारद्वाज, कोषाध्यक्ष राजेश दुबे ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए। प्रथम चरण का संचालन कार्यकारी अध्यक्ष विनय मालवीय ने किया। प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती एवं अटल जी के तेलचित्र पर पुष्पहार अर्पित किए। अतिथियों का स्वागत पत्रकार संघ पदाधिकारी देवेन्द्र सोनी, गिरीश पटेल सहित युवा पत्र लेखक मंच एवं संकल्प संस्था की ओर से विनोद कुशवाह एवं राजेश दुबे ने किया।
द्वितीय चरण में शब्दाजंलि कार्यक्रम में जगदीश श्रीवास्तव गीतकार विदिशा, राजेन्द्र सहारिया गीतकार सोहागपुर, डॉ श्रीमती प्रतिभा सिंह राठौड़ गीतकार माखननगर, सुरेश उपाध्याय, डॉ. विनोद निगम होशंंगाबाद सहित स्थानीय कवियों में तरूण तिवारी तरू, गोविंद श्रीवास्तव, यशवंत पाटीदार, साजिद सिरोंजवी और सुनील भिलाला ने रचनाएं सुनाई जो अटल जी को समर्पित थी।
मौत जिसके चूमती है पांव वो किरदार हूं मैं, आदमी की शक्ल में खोया हुआ फनकार हूं मैं, कविता की यह पंक्तियां विदिशा के जगदीश श्रीवास्तव ने अटल जी को समर्पित की। माखननगर से आई गीतकार डॉ प्रतिभा सिंह परमार (राठौड़) ने कुछ इस तरह अपनी शब्दाजंलि दी। मुसीबतों के सामने बेखौफ खड़ी होती है, बेलाएं एक दिन पौधों से बड़ी होती है। ख्वाहिशों के दायरे बेलगाम हो गए, कल दरवाजे पर थी आज छत पर चढ़ी होती है। साम्प्रदायिक सद्भाव पर डॉ. विनोद निगम ने अपनी प्रतिक्रिया कुछ इस तरह दी। रंग बिरंगे फूल खिले हो अच्छा लगता है, बच्चे हों, स्कूल खुले हो, अच्छा लगता है। अथर भाई से राम-राम सुन अच्छा लगता है, बिरजु काका से सलाम सुन अच्छा लगता है। नर्मदांचल के प्रसिद्ध व्यंग्यकार सुरेश उपाध्याय ने कहा कि जो लोग देश के लिए जीए और मरे वे लोग याद अक्सर आ जाते हैं, उन्हें हम शीष झुकाते हंै। संचालन कर रहे रामकिशोर नाविक ने कहा कि गर्म सांसों में ढाल कर रखना, मन के पिंजरे में पाल कर रखना, टूटे दिल को सुकुन देती हैं चंद यादें संभाल कर रखना। आभार प्रदर्शन विनोद कुशवाह ने किया।Sai Krishna1

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