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शांतिधाम : चारों ओर हरियाली, फूलों की खेती से पर्यावरण सज गया

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इटारसी। आईएसओ प्रमाणित शांतिधाम रोटरी क्लब द्वारा नगर पालिका के सहयोग से 2011 से संचालित किया जा रहा है। यहां पर लकड़ी के अलावा गोबर के कंडों से भी चितायें जलाई जाती है।
चार एकड़ में फैले शांतिधाम में गुलाब के फूलों की खेती सहित आम, रूद्राक्ष, सिंदूर, नींबू, अमरूद के वृक्ष फल देने लगे हैं। सिंदूर के वृक्षों से सिंदूर निकाला गया है आम की केरियों से वृक्ष लगेे हैं। अमरूद और नींबू के वृक्षों में भी फल आ गये और रूद्राक्ष का पौधा भी फलने लगा है। गुलाब के फूलों की खेती से प्रतिदिन 4 से 5 किलो गुलाब बेचा जाता है। बांसों का पुन: उपयोग किया जाता है जिसमें बांस की चेलियां बनाकर बेची जाती है। शवों को रखने तीन डेड बॉडी फीजर उपलब्ध है। स्प्रिंग कलर से सिंचाई की जाती है। पानी के लिये वॉटर कूलर है। अस्थियों के रखने के लिये अस्थि लॉकर उपलब्ध है। शव यात्रा आने की सूचना पर यदि परिवारजन चाहते है तो चिता को लकडिय़ों से तैयार कर दिया जाता है। पूरे एक साल में करीब 35 गरीब परिवार के शवों का अंतिम संस्कार समिति ने कराया है। शव यात्रा में जो लोग अर्थी में बांस का उपयोग नहीं करना चाहते उनके लिये स्टेनलेस स्टील की रेडीमेड अर्थी भी उपलब्ध है।

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रोटरी क्लब, सकल जैन समाज, मारवाड़ी समाज, सिख समाज एवं सिंधी समाज सहित कई गणमान नागरिकों ने शांतिधाम को आकर्षक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यहां पर जीवन और मृत्यु के बीच अंतर पर साहित्यकार संगोष्ठी भी कर चुके हंै। साल में दो बार पुरानी इटारसी के भजन मंडल यहां पर प्रस्तुति देते हैं। मुख्य द्वार पर 16 फुट ऊंची भगवान शंकर की प्रतिमा है, सामने एक चबूतरे शव को रखते है तब भगवान शंकर के मुख से सात पवित्र नदियों एवं अरब सागर के जल से शव को स्नान कराया जाता है। जनभागीदारी से दो ट्यूबबेल यहां पर संचालित है। कार्यालय से दाहकर्म एवं दफन करने का प्रमाण पत्र जारी किया जाता है। शांतिधाम में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं तथा माइक व्यवस्था है। सूर्यास्त के बाद विशेष परिस्थति छोड़कर नागरिकों का प्रवेश वर्जित है। दानपेटी में जो परिवार स्वेच्छा से दाहक्रम की 350 रुपये दान देते हैं उन्हें रसीद दी जाती है। शांतिधाम समिति के अध्यक्ष मोहन खंडेलवाल, कोषाध्यक्ष रोटेरियन दीपक जीडी अग्रवाल, सचिव रवि किशोर जायसवाल हंै। प्रमोद पगारे सदस्य कार्यकारी के रूप मेें शांतिधाम का कार्य देखते हैं। चार एकड़ जमीन राय साहब जुगलकिशोर पुरानी इटारसी द्वारा दी गई है, सरकारी रिकार्ड में इस जमीन का मालीकाना हक इसी परिवार के पास है। कार्यकारी सदस्य प्रमोद पगारे ने नागरिकों से अनुरोध किया है शांतिधाम के संचालन के लिये जब भी शव यात्रा में आयें प्रति व्यक्ति 10 रुपया यदि दान पेटी में डाले तो विकास कार्यो में तेजी आ सकती है।

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