भजनों पर थिरके भक्त, भंडारे में हजारों ने ग्रहण किया प्रसाद
इटारसी। श्री बूढ़ी माता मंदिर में पिछले एक सप्ताह से जारी श्री शतचंडी महायज्ञ का आज पूर्णाहुति के साथ समापन हो गया। पूर्णाहुति में हजारों भक्तों ने अपनी उपस्थित दर्ज करायी और यज्ञशाला की परिक्रमा की। श्री शतचंडी महायज्ञ में सबसे अधिक संख्या महिला श्रद्धालुओं की थी। इसके अलावा बच्चों को सबसे अधिक आनंद मेले में आया। इस बार मेले में झूले, मिकी हाउस,चकरी झूला, खानपान स्टाल्स, महिलाओं के लिए सौंदर्य सामग्री की दुकानों के अलावा एक छोटे से क्षेत्र में बच्चों की बोटिंग आकर्षण का केन्द्र रही।
श्री शतचंडी महायज्ञ के समापन अवसर पर मप्र विधानसभा के अध्यक्ष डॉ.सीतासरन शर्मा, विधायक प्रतिनिधि कल्पेश अग्रवाल, मुख्य नगर पालिका अधिकारी सुरेश दुबे भी मौजूद थे. समापन अवसर पर व्यवस्था बनाने मंदिर समिति के जगदीश मालवीय, जसबीर सिंघ छाबड़ा, जयकिशोर चौधरी, अशोक लाटा, संजीव अग्रवाल, रविन्द्र जोशी, जयकिशोर चौधरी के अलावा देवल मंदिर की युवा टीम, श्री गुरुसिंघ सभा के युवा सदस्य और स्वयंसेवी संगठनों के कार्यकर्ता मौजूद थे। हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं की सेवा में सभी तन-मन से जुटे थे।
मंदिर में दर्शन की कतार
श्री बूढ़ी माता मंदिर परिसर में आज सबसे अधिक भक्त पहुंचे। दोपहर से शाम तक पचास हजार से अधिक भक्तों ने माता के दर्शन किए, यज्ञशाला की परिक्रमा की और मंदिर के पीछे स्थित मैदान पर मेले का लुत्$फ भी उठाया। मंदिर में दर्शन के लिए लंबी कतार थी। इस बार भक्तों को दर्शन में परेशानी न हो, इसके लिए मंदिर समिति ने मंदिर के सामने का हाल बड़ा बनाया था। मंदिर परिसर को भी छोटे-छोटे मंदिर पीछे करके विशाल आकार दिया था। बड़े-बड़े वृक्षों की शाखाओं की कटिंग कर परिसर को खुला वातावरण दिया था।
पूर्णाहुति में शामिल हुए हजारों
श्री शतचंडी महायज्ञ के अंतर्गत दोपहर में पूर्णाहुति हुई जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। विस अध्यक्ष डॉ.सीतासरन शर्मा, श्रीमती कल्पनादेवी शर्मा, नपाध्यक्ष सुधा अग्रवाल, राजेन्द्र अग्रवाल, विधायक प्रतिनिधि कल्पेश अग्रवाल ने भी यज्ञशाला में आहुति दी। मुख्य यजमान पंकज चौरे हैं। पूर्णाहुति के बाद आरती होने तक हजारों की संख्या में भक्त मंदिर परिसर में एकत्र हो गए थे। यज्ञशाला में महाआरती के बाद मंदिर परिसर में ही भंडारे का आयोजन किया जिसमें हजारों भक्तों ने बैठकर भोजन-प्रसादी प्राप्त की।
बच्चों ने लिया मेले का लुत्फ
श्री बूढ़ी माता मंदिर समिति ने शतचंडी महायज्ञ के साथ ही आयोजित होने वाले मेले की अवधि इस वर्ष बढ़ा दी है। शतचंडी महायज्ञ एक सप्ताह में खत्म हो गया लेकिन मेला अभी पांच दिन और चलेगा। यज्ञ समापन अवसर पर हजारों की भीड़ मंदिर परिसर में पहुंचने से मेले में भी आज रोनक रही. इससे पहले मेले में बच्चे पहुंचते अवश्य थे, लेकिन आज जितनी भीड़ नहीं होती थी। समापन दिवस पर जब मेले में भी भीड़ पहुंचे तो मेले में व्यापार करने आए व्यापारियों के चेहरे भी खिल उठे। अभी पांच दिन वे दुकान के साथ यहां रुकेंगे।
श्री शतचंडी महायज्ञ का इतिहास
श्री बूढ़ीमाता मंदिर मालवीयगंज में श्री शतचंडी महायज्ञ का इस बार 42 वा वर्ष था. सन 1975 में वीरान रहे इस स्थान पर एक छोटी मढिय़ा थी और मढिय़ा के जीर्णोद्धार का उद्देश्य लेकर यहां प्रथम बार श्री शतचंडी महायज्ञ कराने का निर्णय लिया। पहले यह यज्ञ पांच दिन का होता था जो कि 7-8 साल चला, परंतु अब यह 7 दिन का हो गया है. यज्ञ की शुरूआत माता महाकाली दरबार से निकलने वाली कलशयात्रा से होती है। कलशों की स्थापना यज्ञशाला में की जाती है जो कि अंतिम दिन यज्ञ समाप्ति के बाद श्रद्धालु लेकर जा सकते हैं। शतचंडी महायज्ञ के सात दिनों में शुरूआत घट यात्रा से होने के बाद घट स्थापना, पंचांग पूजन, ब्राहण वरण, मण्डपस्थ देवता पूजन, श्री रामरचित मानस के सुंदरकांड पाठ व श्रीमद देवी भागवत पाठ प्रारंभ तथा अरणि मंथन द्वारा अग्नि प्राकटय होता है। इसके बाद प्रतिदिन सुबह व दोपहर में दुर्गासप्तशती पाठ एवं रूद्राभिषेक के साथ हवन, आरती एवं प्रसाद वितरण और यज्ञ के अंतिम दिन पूर्णाहुति पूजन, आरती, प्रसाद वितरण ब्राहण एवं कन्या भोजन व महाप्रसाद इसके अलावा प्रतिदिन दोपहर में प्रवचनकर्ता के द्वारा प्रवचन होते हैं।
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श्री शतचंडी महायज्ञ का पूर्णाहुति के साथ हुअा समापन
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