इटारसी। श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में सावन मास के दूसरे सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ थी। पांच परिवारों ने सपत्नीक भगवान शिव का पूजन एवं अभिषेक किया। सोमवार को यजमान अधिक होने के कारण 2 पार्थिव शिवलिंग विशेष रूप से बनाए गए। मुख्य आचार्य विनोद दुबे, आचार्य सत्येन्द्र पांडे, आचार्य पीयूष पांडे ने यजमानों एवं शिव भक्तों से पूजन एवं अभिषेक कराया। भगवान गणेश बुद्धि के दाता है, मां दुर्गा शक्ति के रूप में पूजी जाती है, मां लक्ष्मी धनधान से पूर्ण करती है एवं मां अन्नपूर्णा सभी को भोजन देती है। उक्त उदगार पं. विनोद दुबे ने सावन के दूसरे सोमवार पर पार्थिव शिवलिंग पूजन एवं अभिषेक के समय व्यक्त किए।
श्री दुबे ने कहा कि एक बार गंगा यमुना के संगम पर प्रयागराज जो ब्रह्मलोक जाने वाला मार्ग है, वहां पर महातेजस्वी, महाभाग महात्मा मुनियों ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया। जब व्यास जी के शिष्य सूत जी महाराज को यह पता चला कि ऋषि मुनियों के द्वारा प्रयाग में यज्ञ किया जा रहा है, तो स्वंय सूत जी महाराज प्रयाग पहुंचे। सभी ऋषि मुनियों ने सूतजी महाराज के समक्ष जिज्ञासा प्रकट की थी। आप शुभाशुभ तत्व का वर्णन करें जिसमें हमारी तृप्ति नहीं होती और उसे हमारे सुनने की इच्छा बनी रहती है। तब सूतजी महाराज ने कहा था कि घोर कलयुग आने पर मनुष्य दुराचार में फंसेंगे, दूसरों की बुराई करेंगे। पराई स्त्रियों के प्रति आकृष्ठ होंगे, हिंसा करेंगे, मूर्ख नास्तिक और पशु बुद्धि हो जाएंगे। सूतजी ने मुनियों से कहा कि कलयुग में वेद प्रतिवादित वर्ण आश्रम व्यवस्था नष्ट हो जाएगी। प्रत्येक वर्ण और आश्रम में रहने वाले अपने अपने धर्मो के आचरण का परित्याग कर विपरित आचरण करने में सुख प्राप्त करेंगे। इस सामाजिक वर्ण संकरता से लोगो का पतन होगा। परिवार टूटेंगे और समाज विखर जाएगा। प्राकृतिक आपदाओं से जगह-जगह लोगों की मृत्यु होगी, धन का छय होगा स्वार्थ और लोभ की प्रवृत्ति बढ जाएगी ब्राह्मण लोधी हो जाएगा, वेद को बेचकर धन प्राप्त करेंगे मध से मोहित होकर दूसरों को ठगेंगे, पूजा पाठ नहीं करेंगे और ब्रह्मज्ञान से शून्य हो जाएंगे। सूतजी महाराज ने मुनियों को समझाते हुए कहा था कि क्षत्रिय अपने धर्म को त्यागकर कुसंगी, पापी और व्याभिचारी हो जाएंगे शोर्य से रहित हो वे सूत्रों जैसा व्यवहार करेंगे और काम के अधीन हो जाएंगें। सूतजी ने मुनियों को समझाया था कि वैश्य धर्म से विमुख हो, संस्कार भ्रष्ट हो कुमार जी, धनोपार्जन होकर नापतौल में ध्यान नहीं लगाएंगे और सूद्र अपना धर्म कर्म छोड़कर अच्छी वेशभूषा से सुशोभित हो व्यर्थ घूमेंगे वह कुटिल और ईर्श्यालु होकर धर्म के प्रतिकूल हो जाएंगे, वह स्वंय को कुलीन मानकर सभी धर्मो और वर्णो में विवाह करेंगे। सूतजी महाराज ने ऋषि मुनियों से कहा कि इन सभी दुरगतियों से मुक्ति पाने का उपाय है परोपकार करो क्योंकि परोपकार से ही भावना निश्काम होगी तो उससे परम गति प्राप्त होगी और सभी पापों का नाश हो जाएगा। सूतजी ने कहा कि भगवान शिव ही इन सब गलत बातों से व्यक्ति को मुक्ति दिला सकते है। भगवान शिव की आरती के पश्चात सभी को प्रसाद वितरण किया गया।
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सावन के दूसरे सोमवार पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी
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