हिरण्यगर्भा अभियान : प्रायवेट आयुष चिकित्सक भी स्वेच्छा से जुड़े

Post by: Manju Thakur

होशंगाबाद। नर्मदापुरम संभाग कमिश्नर उमाकांत उमराव के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में संभाग के हरदा, बैतूल एवं होशंगाबाद जिलों में हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिये हिरण्यगर्भा मातृ मुस्कान अभियान चलाया जा रहा है।
इस अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सक एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी हाई रिस्क गर्भवती महिला के घर पर जाकर महिला, उसके पति एवं ससुराल वालों को बताते हैं कि महिला गंभीर हाई रिस्क की श्रेणी में है और महिला की विशेष देखभाल की एवं विशेष खानपान की आवश्यकता है। इसी अभियान के अंतर्गत आज आयोजित बैठक में जिले के प्रायवेट आयुष चिकित्सक भी स्वेच्छा से इस अभियान के अंतर्गत हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की विशेष देखभाल एवं सुरक्षित प्रसव के लिये सामने आएं और उन्होंने कमिश्नर श्री उमराव को आश्वस्त किया कि वे पूर्ण रूप से हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के लिये कार्य करने में अपना सहयोग प्रदान करेंगे।
कमिश्नर ने कहा कि हमारे समाज में गर्भवती महिला जबतक घर का खाना बना सकती है तब तक उसे स्वस्थ माना जाता है अन्यथा महिला की कोई अन्य बीमारी को बीमारी नहीं माना जाता है। उन्होनें बताया कि पहले सभी के घरों में आठ से दस प्रकार के बीन्स, सब्जियां पकाई जाती थीं वर्तमान में अब हमारी फूड बॉस्केट छोटी हो गई है, वेजिटेबल कम हो गए हैं, लोग अब एक या दो सब्जियां या बीन्स खा रहे हैं जिससे शारीरिक शक्ति में बदलाव दिखलाई दे रहा है। कमिश्नर ने कहा कि नर्मदापुरम संभाग के तीनों जिलों में तीन वाट्सएप ग्रुप बनाए हैं। चिकित्सक जब हाई रिस्क गर्भवती महिला के घर पर जाते हैं तो वहां की फोटो लेकर ग्रुप में डालते हैं। साथ ही मरीज को दिए गए निर्देश एवं जांच रिपोर्ट भी वाट्सएप ग्रुप में डालते हैं। कमिश्नर ने बताया कि जुलाई माह के दूसरे सप्ताह में हिरण्यगर्भा अभियान का पोर्टल बना लिया जाएगा। इस पोर्टल में सभी हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की जानकारी रहेगी। एक क्लिक पर महिला के स्वास्थ्य संबंधी सभी जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
इसके अलावा हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी चर्चा की जाएगी। कमिश्नर ने बताया कि आज हमें महिलाओं के जीडीएम, मस्तिष्क पक्षाघात, शुगर, हीमोग्लोबिन आदि चिकित्सीय दृष्टि से जटिल प्रकरणों में सफलता प्राप्त हो रही है। इस अभियान से दूरस्थ ग्रामों के वनपाल एवं वनक्षेत्रपालों को भी जोडा गया है और उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। कंट्रोल रूम के माध्यम से भी निरंतर हाई रिस्क गर्भवती महिला से फोन से बात की जाती है और उसके स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ली जाती है।

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