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700 करोड़ मजदूरी न मिलने से परेशान हैं मजदूर, भुगतान की मांग

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होशंगाबाद। प्रदेश के 45 जिलों के 4527 खरीदी केन्द्रों पर 15 लाख 55 हजार 453 किसानों द्वारा समर्थन मूल्य पर बेचे गये गेहॅू की तुलाई-भराई एवं हम्माली के काम में लगे 1लाख 80 हजार मजदूरों को उनकी 700 करोड़ रूपये के लगभग मजदूरी का भुगतान आज तक नहीं होने से इन मजदूरों के खाने पीने का संकट आ गया है। कोरोना वाइरस की चिंता न कर लाकडाउन में भूखे मरने की कगार पर उधारी का जीवन गुजारने को विवश इन मजदूरों ने अपने अपने जिलों में समर्थन मूल्य पर गेहू खरीदी शुरू होते ही अपने प्राणों को दाव पर लगाकर कर सरकार को खरीदी का लक्ष्य पूरा किया किन्तु उनके बहे पसीने की मजदूरी उन्हे न मिलने पर नागरिक अधिकार जनसमस्या निराकारण समिति के अध्यक्ष आत्माराम यादव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम होशंगाबाद कलेक्टर को एक पत्र प्रेषित कर इसकी एक प्रति ईमेल से कृषि मंत्री कमल पटेल ओर सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को देते हुये इन मजदूरों को तीन दिन में मजदूरी भुगतान करने कि मांग की है।
नागरिक अधिकार जनसमस्या निराकरन समिति के अध्यक्ष यादव के अनुसार आज की स्थिति में होशंगाबाद के मजदूरों को 30 करोड़ का भुगतान होना है वही पूरे प्रदेश में 123 लाख मट्रिक टन गेंहू की खरीदी करके किसानों को 17 हजार 430 करोड़ 51 लाख 78 हजार 323 रूपये का भुगतान किया जा चुका है परन्तु व्यापक स्तर पर इस खरीदी में इस भीषण गर्मी में अपना खून-पसीना बहाने वाले मजदूरों का भुगतान न करके सरकार ने इनके साथ छलावा किया है जिससे इन हम्माल-तुलइया आदि मजदूर के चेहरे की रौनक गायब है जो उनके आक्रोश में तब्दील होती हुई खरीदी संस्थाओं के कर्मचारियों के प्रति विस्फोटक रूप ले सकती है। प्रदेश के इन मजदूरों को कोरोनाकाल में जहाँ मजदूर कर्ज में डूबा हो और एक एक रूपये की तंगहाली में जी रहा हो तब उन्हें समय पर भुगतान न करने में असफल रही सरकार इसके लिये जबावदेह है किन्तु सरकार की सेवा में लगे प्रदेश के हर जिले के अधिकारी इस हेतु समितियों को मजदूरों का भुगतान कराने में असफल रहकर समितियों के लिये संकटापन्न बने हुये है जो प्रशासन एवं सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है।
श्री यादव के अनुसार गेंहू खरीदी ही नहीं बल्कि 882 खरीदी केन्द्रों पर चना,मसूर एवं सरसों की खरीदी हुई और 1 लाख 83 हजार 913 किसानों का 3 लाख 82 हजार 410 मीट्रिक टन उपज की तुलाई-भराई एवं हम्माली करने वाले मजदूरों को भी संस्थाओं ने भुगतान नहीं किया है जिससे मजदूरों की स्थिति को लेकर गेहॅू एवं चना, मसूर, सरसों की खरीदी समितियों के कर्मचारियों द्वारा पूरे समय अपने वरिष्ठतम अधिकारियों को लिखित में अवगत कराने के बाद भी उन्होने खरीदी-परिवहन आदि पर ध्यान रखकर सरकार के सामने अपनी प्रोग्रेस रिपोर्ट दुरुस्त कि लेकिन पूरे समय बार बार मांग करने तथा समिति कर्मचारियों के मौखिक ओर लिखित अवगत कराये जाने के बाद भी इन मजदूरों का भुगतान नहीं होने दिया जिससे अब समितियों के कर्मचारियों और मजदूरों के बीच भुगतान को लेकर प्रतिदिन झगड़ा-फसाद की गंभीर परिस्थितिया निर्मित हो रही है जो कभी भी दोनों पक्षों के लिए जानमाल को नुकसान पहुचा सकती है।

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