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80 वर्ष से देवी माँ, देती विजय की शक्ति, तब होता है लंकेश का वध

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भूपेंद्र विश्वकर्मा की विशेष रिपोर्ट

आज दशहरे पर हमारी विशेष कवरेज में हम आपको उस देवी से रूबरू करवाएंगे, जिनके आशीर्वाद से ही श्री राम, अधर्म पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्राप्त करते हैं और लंकापति रावण का संहार करते है।
नर्मदांचल की नवरात्रि के तहत आज हम बात कर रहे है उस देवी प्रतिमा की जिसके शक्ति रूपी आशीर्वाद के बिना इटारसी के श्रीराम दशहरे पर रावण का वध नहीं करते। दुर्गा चौक पटवा लाइन के पुराने दुर्गा मंदिर इटारसी में विराजने वाली माँ दुर्गा की। माँ दुर्गा उत्सव समिति द्वारा स्थापित होने वाली देवी माँ को इस वर्ष 79 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं।

इतिहास के पन्ने
अंग्रेजों के शासन काल में सन् 1938 के लगभग यहां समिति ने देवी प्रतिमा स्थापित करना प्रारंभ किया। जिसमें मुख्य रूप से स्व. रामनारायण अग्रवाल, स्व. रमेश चंद्र जी भार्गव (मंदिर के पूर्व पुजारी व मूर्ति स्थापना समिति के वरिष्ठ सदस्य), स्व. शंकरलाल मालवीय, जगदीश मालवीय, ओम चाचा, गौरीशंकर मालवीय, रमाकांत अवस्थी के साथ इनकी संपूर्ण मित्र मण्डली ने प्रारंभिक वर्षों में तन-मन-धन से माँ की सेवा में अपना योगदान दिया। इस वर्ष यहां विराजने वाली देवी माँ को लगभग 79 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं।
वर्तमान में भी समिति में लगभग डेढ़ दर्जन सक्रिय सदस्य शामिल है जो परिवार सहित माँ की नवरात्रि के पूरे नौ दिन सेवा करते हैं। नवरात्री में प्रतिदिन देवी स्थापना के समय मंदिर/पंडाल में भजन-पूजन, सुन्दरकाण्ड आदि होते है जिनमें बड़ी संख्या में जनसमूह अपनी उपस्तिथि दर्ज कराते हैं।
वर्तमान में समिति में मुख्य रूप से राजेंद्र अग्रवाल, सांसद प्रतिनिधि दीपक हरिनारायण अग्रवाल, मनीष अग्रवाल, प्रकाश अग्रवाल, गुड्डू जैन, चंद्रभान सदनमल जैसे वरिष्ठ सदस्यों के साथ ही पंकज मालवीय, संजीव जैन, संदीप साहू, राकेश साहू, सुरेश माहेश्वरी, मनोज सोनी, मुकेश साहू, नीतेश ठाकुर, मानव अग्रवाल, संतोष सरौदे जैसे युवा अपनी मित्रमण्डली के साथ माँ दुर्गा की नौ दिन पूजा-आराधना करते हैं।

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वो सत्य और रौचक बातें जो आपको जानना जरूरी है

• यहां विराजने वाली देवी प्रतिमा की सबसे विशेष बात यह है कि इनके बिना दशहरा मैदान गांधी मैदान पर श्री राम रावण का वध नहीं करते। जिस प्रकार त्रेतायुग में श्री राम रावण युद्ध में श्री राम ने रावण वध के लिए माँ दुर्गा से शक्ति मांगी थी उसी परंपरा को यहां वर्षों से निभाया जाता है। जिसके अंतर्गत आज यह देवी प्रतिमा अपने स्थान से चल समारोह द्वारा गांधी मैदान पहुचेंगी और नौ दिनों से चल रही रामलीला के श्रीराम, रावण वध के लिए माँ से आशीर्वाद लेते है।

• शुरुआत से ही यहां देवी माँ को उनके संपूर्ण परिवार जिनमें मुख्य रूप से माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी, पुत्र गणेश और कार्तिकेय के साथ स्थापित किया जाता है। शहर में बंगाली परिवारों के अलावा यह एकमात्र ऐसी जगह है जहाँ देवी माँ को उनके संपूर्ण परिवार के साथ विराजित किया जाता है। यहां विराजने वाली देवी माँ शहर में विराजने वाली सबसे सुंदर और आकर्षक देवी प्रतिमाओं में से एक है।

• यहां विराजने वाली देवी प्रतिमा की एक और विशेषता यह है कि यहां शहर में एकमात्र दस हाथ वाली प्रतिमा स्थापित की जाती हैं। बाकि सभी देवी प्रतिमाएं आठ हाथ वाली होती हैं। साथ ही शुरुआत से ही प्रतिमा शहर के प्रसिद्ध मूर्तिकार मुन्ना पेंटर के परिवार द्वारा ही बनाई जाती हैं।

• यहां एक और विशेषता यह है कि मंदिर में हिन्दू धर्म के प्रत्येक त्यौहार बड़ी ही धूमधाम और भव्यता से मनाए जाते हैं। शहर में और किसी मंदिर या समिति द्वारा यह कार्य नहीं किया जाता है।

• यहां विराजने वाली देवी प्रतिमा की आकर्षक झाँकी और माँ के श्रृंगार को अवश्य देखा ही होगा। हर वर्ष यह श्रृंगार और झांकी का निर्माण समिति के सदस्य करते हैं जो बहुत ही मनोरम और आकर्षक होता है।

• मुख्य बाजार की एक यही प्रतिमा है जिसमे संपूर्ण जयस्तम्भ चौक के आसपास के व्यापारी तन-मन-धन से सहयोग करते हैं, साथ ही परिवार सहित अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराते हैं।

• शुरुआत से ही मंदिर के पुजारी रहे स्व. रमेशचंद्र भार्गव समिति के वरिष्ठ सदस्य थे। उनके स्वर्गवास के बाद उनके पुत्र टेकचंद्र भार्गव मंदिर के पुजारी है। साथ ही अपने बड़े भाई के साथ वे भी मूर्ति स्थापना में भी परिवार सहित अपना योगदान देते है। नवरात्रि में प्रतिमा स्थापना के पूरे नौ दिन भार्गव जी ही देवी माँ की पूजा संबंधी क्रियाएं करते हैं व अंतिम दिन हवन-पूजन विधि भी करते हैं।

इस वर्ष का आकर्षण
हर वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी देवी माँ की भव्य प्रतिमा परिवार सहित स्थापित की गयी हैं और आकर्षक एवं मनोरम झांकी भी सजाई गई है। साथ ही इस वर्ष भी हर वर्ष की तरह ही नवमी तिथि को हवन-पूजन के साथ ही विशाल भंडारा एवं प्रसादी का वितरण किया। आज दशहरे के दिन विशाल चल समारोह के द्वारा देवी माँ को गांधी मैदान ले जाया जाएगा। श्री राम के रावण वध करने के पश्चात प्रतिमा को होशंगाबाद माँ नर्मदा में विसर्जन करने के लिए ले जाया जाएगा।

VRIDANVAN GARDEN, ITARSI
इटारसी का सर्वसुविधायुक्त मैरिज गार्डन
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