झरोखा/पंकज पटेरिया। सूरज ने अपने सात अश्व वाले रथ की लगाम खीच रुख पश्चिम की ओर कर लिया था। सिंदूरी शाम पुण्य सलिला नर्मदा जी में सुरमई अंधेरे में घिर रहे प्रतिबिंव को निहार रही थी। नर्मदा तट पर सुहागन स्त्रिया मंगल वाद्य यंत्रों की संगत में मनोहारी देवी गीत गाती जलराशि के निकट बड़ रही थी। उनके सिर पर सुशोभित हो रहे थे, भुजलियां के मंगल कलश। तभी एक दम विशिल बज उठी थी। गहमा गहमी बड़ी, अंग्रेज अफसर सिपाही चाक चौबंद सलामी मुद्रा मे खड़े हो गए।
घोड़े की टापे करीब आती सुनाई दी, और कुछ ही देर में घोड़े पर सवार साहब बहादुर डिप्टी कमिश्नर सर निकट आ गए थे। तभी उनकी नजर सिर पर रखे भुजलियाँ के कलश नर्मदा जी में विसर्जन करते जाते हुए फिसलती गिरती महिलाओं पर पड़ी तो उनके मन को गहरा दुख पंहुचा। तत्काल जिले के हेड होने के नाते कुछ करने का मन ही मन उन्होंने निश्चय किया।
दरअसल यह नर्मदा अंचल के प्रसिद्ध धार्मिक लोकोत्सव भुजलिया विसर्जन का अवसर था। अपने महोत्सव में शामिल होने के लिए साहब बहादुर से आधा दिन का सामुहिक अवकाश कर्मचारियों ने प्राप्त किया था। अपने महोत्सव मे शामिल होने सर को भी आमंत्रित किया था, साहब तभी नर्मदा तट पर आए और वहां का दृश्य देख दुखी हुए थे। लिहाजा रात ही वे दफ्तर लौटे और उन्होंने सरकारी खजाना टटोला राशि पर्याप्त नहीं थी। सुबह वे शहर की धनी मानी उदार मना महिला जानकी बाई सेठानी जी की के घर पर पहुंचे, ओर उन्हे नर्मदा घाट की घटना बता अपनी योजना बताई।
जनहित में आर्थिक मदद का आग्रह किया। सेठानी जी तीर्थ यात्रा पर जा रही थी, लेकिन उन्होंने खुशी खुशी अपना खजाना खोल दिया। (हमारे लोकप्रिय विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा इन्ही दानशीला सेठानी के परिवार के सदस्य है)और इस तरह नर्मदा जी घाट निर्माण की योजना बनी। फिरंगी अफसर की देख रेख में बने ये जग प्रसिद्ध घाट जिन्हे सेठानी घाट कहा जाता है। उस समय घाट
के निर्माण में कुल जमा 18 हजार रुपए खर्च आया था। और 10मार्च1881 मे मां नर्मदा के ये विशाल घाट बनकर तैयार हुए। बड़ी संख्या में धर्मप्राणी जन ने उपस्थित होकर पूजा अर्चना आरती की। इस तरह भुजलिया उत्सव की पृष्ठभूमि और उस संवेदन शील अगं्रेज अफसर और दानशील उदार सेठानी जी के सहयोग से मां की गोद से विराट इन घाटों की पट कथा लिखी गई। इस सौगात को देख कर सहज ही उन विभूति के प्रति मन श्रदानत हो जाता है। प्रसंगवश अपने एक गीत का पद याद आ गया।
मां की गोद से ये विराट,
रेवा के विशाल ये घाट,
प्रार्थना और पूजन से,
भजन और कीर्तन से दीप की मनौती से नर्मदे हर गाया है,
आपको सुनाता हूं,गीत मै गाता हूं।
पंकज पटेरिया
9340244352,9407505691