आमतौर पर निकाय चुनावों में मुद्दा भी उसी क्षेत्र का स्थानीय और उम्मीदवार भी निजी पसंद का होता है। लेकिन, इस बार कुछ बातें पिछले चुनावों से जुदा हैं। मूलभूत जरूरतों में शुमार, सड़क, बिजली, नाली, पानी, सफाई जैसे मुद्दे तो अपनी जगह हैं, जिनकी जरूरतें हमेशा बनी रहेंगी। लेकिन अब मतदाता काफी जागरुक हो गया है। नगरीय निकाय जैसे स्थानीय चुनावों में मतदाता अब रोजगार, बच्चों का भविष्य, आमदनी बढ़ाने वाला, खेलों और अन्य माध्यम से बच्चों के कॅरियर का ध्यान रखने वाला पार्षद भी अब समय की मांग हो रही है। मांग है, तो रास्ते कैसे निकलेंगे, यह भी सुझाव आ रहे हैं। आमतौर पर माना जाता है कि इस तरह की चीजें विधानसभा चुनावों की होती हैं, नगर पालिका को इससे क्या लेना-देना? मगर अब इन चुनावों में भी ऐसी मांगें उठने लगी हैं।
आज हमने जिन वार्डों का दौरा किया, वहां कुछ ऐसी ही मांगें सामने आ रही हैं, जो किसी भी राजनैतिक दल के समग्र घोषणा पत्र में शामिल की जा सकती हैं। हालांकि इस बार केवल पार्षद पद के चुनाव हो रहे हैं, इसलिए माना जा रहा है, हर वार्ड का पार्षद अपना स्वयं घोषणा पत्र बनाएगा तो यह जरूरी भी नहीं है। पार्टी भी अपने जनप्रतिनिधियों के माध्यम से शहर के हर वार्डों में कुछ ऐसे काम करा सकती हैं, जब उनको परिषद में बहुमत मिले और अध्यक्ष उनका हो।
जमीनी सर्वे में फेल हैं पार्षद
नगर पालिका चुनाव में जो पुराने पार्षद पुन: अपनी किस्मत आजमाने मैदान में आ रहे हैं, उनके लिए यह चिंताजनक है। हालांकि इस बात का दावा तो नहीं किया जा सकता है कि किसी वार्ड में कोई असंतुष्ट है तो यह किसी प्रत्याशी को नापंसद करने का कारण बन सकता है। लेकिन, जमीनी हकीकत जानने की कोशिश करने पर यह जाहिर हो रहा है कि अधिकांश पार्षदों का काम संतोषजनक नहीं रहा है। कुछेक नाम हैं, जिनका मतदाताओं से सीधा जुड़ाव रहा है और उन्होंने अपने वार्ड के मतदाताओं को घर पहुंच सेवाएं दी हैं, उनके काम से जनता खुश नहीं है तो नाराज भी नहीं है। इसीलिए कहा जाता है कि स्थानीय निकाय के चुनाव चेहरों पर भले लड़े जाएं, सबको संतुष्ट करना काफी मुश्किल होता है।
पार्षद बोले, आप जनता से सीधे बात करें
बात करें वार्ड नंबर 2 की तो पार्षद अरुण चौधरी का दावा है कि वार्ड में सड़कें, नालियां, पेयजल, बिजली के खंभे लगवाये, स्ट्रीट लाइट लगवायी, दीवान कालोनी में पार्क आदि के काम हुए हैं। कुछ नालियां, सड़कें रह गयीं। एक बड़ी समस्या है, खाली प्लाट्स में भरे पानी का निकाल करना। इसके प्रयास अवश्य किये हैं, लेकिन आसपास से निकास की व्यवस्था नहीं होने से यह काम नहीं हो सका। इस बार चुनाव लड़के सवाल पर बोले, पार्टी कहेगी तो चुनाव लड़ सकते हैं, हमने अपनी तरफ से प्रयास नहीं किये हैं। इधर जब इन कामों को लेकर मतदाताओं से सवाल किये तो ज्यादातर ने कहा, सारे काम कागजी है, जितना बताया जा रहा है, हकीकत उससे परे है।
ये हैं वार्ड नंबर 2 से दावेदार
कांग्रेस से एकमात्र पूर्व पार्षद अर्जुन सिंह ठाकुर ने दावा पेश किया है। नाम तो युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव मयूर जैसवाल का भी सामने आया था। लेकिन, कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि जायसवाल परिवार से कोई भी चुनाव लडऩे का इच्छुक नहीं है। बहरहाल, ये राजनीति है। पार्टी का आदेश होगा तो लगता नहीं कि इनकार किया जा सकता है। इधर भारतीय जनता पार्टी से निवृतमान पार्षद अरुण चौधरी की दावेदारी तो मानी ही जा रही है, इसके अलावा भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष जयकिशोर चौधरी, फौज से रिटायर्ड निर्मल सिंह राजपूत के नाम के अलावा एक नाम वीणा कटियार और एक आर्डनेंस फैक्ट्री से रिटायर्ड शर्मा जी भी दावेदारी कर रहे हैं।
वार्ड नंबर 2 की जरूरतें
करीब आधा दर्जन सड़कें बनना हैं, एक दर्जन नालियां बनाने की जरूरत है। वार्ड में पेयजल की सबसे बड़ी समस्या है, जिसका स्थायी निराकरण तलाशने की जरूरत है। इस वार्ड में पार्क विकसित करना भी जरूरी है। कुछ स्थानों पर बिजली के खंभे भी लगाये जाना है। खाली प्लाटों में पानी की बड़ी समस्या है, जिसका निराकरण जरूरी है। दावेदार जयकिशोर चौधरी का मानना है कि इन मूलभूत जरूरतों के अलावा जनता यहां बच्चों के लिए खेल मैदान, बच्चों के लिए लायब्रेरी, ताकि वे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर सकें, महिलाओं के स्वसहायता समूह बनाकर सरकार की योजनाओं के माध्यम से उनको आर्थिक रूप से सुदृढ़ करने जैसे काम भी चाहती है।
चार टर्म की पार्षदी का अनुभव है शिवकिशोर रावत को
पुरानी इटारसी में पार्षदी के सबसे अनुभवी परिवार शिवकिशोर रावत इस बार वार्ड क्रमांक 4 से मैदान में हैं, वे भाजपा से टिकट की प्रत्याशा में अपना नामांकन भी जमा कर आये हैं। उनके सामने कांग्रेस से पूर्व पार्षद अवध पांडेय ने दावेदारी की है। रावत परिवार में शिवकिशोर रावत ने वार्ड 3 से दो बार, उनकी पत्नी श्रीमती भागेश्वरी रावत ने वार्ड 3 से एक बार और वार्ड 4 से एक बार, इस तरह चार बार पार्षदी की है। उनका कहना है कि वे स्वयं नहीं बल्कि अपने वार्ड की मतदाता की इच्छा पर चुनाव में जाते हैं। नामांकन से पूर्व वार्ड में जाकर अपने मतदाताओं से अनुमति लेते हैं, तभी नामांकन जमा करते हैं। सालभर वार्ड में परिवारों से सीधे जुड़े रहते हैं, इसलिए चुनाव के वक्त वार्ड में जाकर निवेदन करने की जरूरत नहीं होती है।
वार्ड का बड़ा काम
वार्ड के बीच से निकलने वाले पहाड़ी नाले पर रपटा बनाना, जल आवर्धन का पानी संपूर्ण वार्ड की पहुंच में लाना, क्योंकि भूमिगत जलस्रोत गर्मियों में जल्दी रीत जाते हैं। एक बड़ा काम, मुख्यमंत्री अधोसंरचना से नाला निर्माण कार्य जारी, इससे बारिश में जलभराव की समस्या का निदान होगा।
कांग्रेस से दावेदार- अवध पांडेय का कहना है कि सरदार पटेल की स्मृति में बना स्कूल अव्यवस्थाओं का शिकार है, छोटे-छोटे बच्चे स्वच्छ पानी, स्वच्छ शौचालय के अभाव में शिक्षा अध्ययन कर रहे हैं। वार्ड में पानी की प्रमुख समस्या है। जगह-जगह पानी की पाइप लाइन के लिए रोड खोदकर पाइप लाइन डाली पर पानी आज तक नहीं आया। जगह-जगह गड्ढे हैं जो आज भी खुले हैं, उसकी मरम्मत कार्य स्थानीय पार्षद नगर पालिका से नहीं करवा पाए जिससे जनता में भारी आक्रोश है। वार्ड में शीतला माता मंदिर क्षेत्र साईं बाबा चौराहा पर 10000 लीटर की पानी की टंकी वर्षों से खाली खड़ी है, वार्डवासी पानी के लिए सबसे अधिक परेशान रहे इस वार्ड में। वार्ड में समय समय पर नालियों की सफाई, झाडू नहीं करा पाने से महिलाओं में आक्रोश है। कोरोना काल में हुई अनेक मौतों के बाद परिवार को कोरोना से मृत्यु का प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हो पाए। वार्ड एनएच से लगा हुआ है। पुरानी इटारसी का भारी यातायात एवं प्रमुख आजाद चौराहा होने के कारण यहां पर सार्वजनिक शौचालय पार्षद द्वारा नहीं बनवा पाये। वार्ड के मतदाता किसान भी हैं, समय-समय पर खाद-बीज एवं अभी कुछ माह पूर्व हरदा के विधायक द्वारा नहर के पानी को रोके जाने व पानी हरदा ले जाने जैसे किसानों की प्रमुख समस्या पर पार्षद द्वारा विरोध न करने पर भी किसान मतदाता में आक्रोश बना हुआ है।