* राजधानी से पंकज पटेरिया :
कोई एक पखवाड़े से ज्यादा वक्त बीत गया है और एक बाघ के मैनिट परिसर में बेखौफ घूम रहे धमाचौकड़ी कर रहे के चर्चे राजधानी के खबर आकाश में आतिशबाजी से गूंज रहे हैं। यह मोजू सवाल भी भरमार बंदूक सा दाग ने सा गूंज रहा है।
हम तो अंदर है साहब मौज मजे में है, आप कहां हो हुजूर। मैनिट की छात्र बिरादरी डरी सहमी है, कुछ को छुट्टी दे दी गई है कुछ को नहीं। ढाई वर्ष के युवा वनराज के सुरक्षा के लिए दो पारियों में वन कर्मियों की ड्यूटी भी लगाई गई है। उनके भोजन प्रसादी की भी माकूल व्यवस्था की गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि बाघ 15 दिन से ज्यादा किसी क्षेत्र में चहल कदमी नहीं करते हैं। लेकिन यह अपवाद है कि मैं नेट का करीब 600 एकड़ वन क्षेत्र उन्हें ऐसा रास आया कि वे यही अपनी रियासत मानकर राजसी ढंग से आराम फरमा रहे हैं।
यूं हम यह मुहावरा सुनते आ रहे हैं कि एक जंगल में एक शेर रहता है। खुशकिस्मती से यह शेर महोदय यहां अकेले रोब दाब से रह रहे है। डीएफओ कहते हैं बाघ साहब मौजूद हैं। उनकी निगरानी की जा रही है ताकि कोई तकलीफ न हो। पकड़ने की योजना पर ऊपर दर्जे से निर्देश मिलने का इंतजार है।
चर्चा है यह कभी दिखते हैं कभी नहीं। पिंजरे भी रखे गए हैं लेकिन पिंजरे से वे तौबा करते हैं। हवाओं में यह एक लाइन जरूर बहती महसूस की जा रही है, हम तो अंदर हैं साहब, आप कहां हैं हुजूर।
खबर यह भी है कि बाघ के डर से हॉस्टल में रह रहे स्टूडेंट म्यूजिक बजाते, लाइट जलाते अपने दिन रात गुजार रहे हैं। यहां बाघ साहब का एंटरटेनमेंट भी हो रहा है। दीपावली करीब है शायद स्टूडेंट की हॉस्टल में और शेर भाई की मैनिट परिसर में धूम-धड़ाके से दीपावली मने। ऐसा होगा तो शिफ्ट में जिन वन कर्मियों की बाघ साहब की निगरानी अथवा इस्तकबाल में ड्यूटी लगी है उनकी दीपावली भी अपने बाल बच्चों परिवार से दूर इसी परिसर में मने। खैर साहब आने वाली दीपावली सब के लिए हैप्पी हो अपनी यही दुआ ऊपर वाले से है।
और बाघ साहब आए पिंजरे में
और १५ दिन से मैनिट को अपनी जागीर समझने जंगल के राजा वनकर्मी को जी भर छका देने वाले बाघ साहब एक बकरी को अपना डिनर बनाने की लालच में पिंजड़े में कैद हो गए। बाद में उन्हें ट्रेंकुलाइजर देकर सतपुड़ा टाइगर प्रोजेक्ट में रवाना कर दिया गया है। बाघ ने 15 दिन से मैनिट परिवार और फॉरेस्ट विभाग सहित शासन की नाक में दम कर रखा था।
बहराल आज उनकी पिंजरे में आमद और सतपुड़ा टाइगर विदाई से सब ने राहत अनुभव की है। जाहिर है अब सब की दीपावली चैन से मनेगी। लेकिन ध्यान योग बात यह है उन कारणों की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए जिसके कारण बाघ महोदय यहां एंट्री मार गए थे। ऐसे मजबूत और माकूल प्रबंध किए जाना चाहिए ताकि मैनिट परिसर में फिर कोई जंगली जानवर दाखिल होने की जुर्रत ना करे।
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
9340244352 ,9407505651