ठंडा-ठंडा, कूल-कूल मध्यप्रदेश, सर्दी का सितम जारी, नौनिहालों की बढ़ी परेशानी

Post by: Rohit Nage

इटारसी। मध्यप्रदेश में मौसम बेहद ठंडा हो गया है। शीतलहर सितम ढा रही है, हाड़ कंपा देने वाली सर्द हवाएं और बर्फ की तरह गलन ने छोटे, बड़े, युवा सभी को परेशान कर रखा है। सुबह के वक्त स्कूल जाने वाले बच्चों और उनको छोडऩे जाने वाले पालकों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है।

प्रशासन ने हालांकि स्कूलों के समय में बदलाव किया है, लेकिन आदेश में देर शाम कर दी। देरी के कारण स्कूलों को पालकों तक संदेश भेजने में परेशानी आयी। हालांकि किसी तरह से मैनेज तो कर लिया, किन्तु यह नाकाफी है। इस तरह की ठंड को देखते हुए प्रशासन को अगले दो दिन की छुट्टी घोषित करना चाहिए। सर्दी का आलम तो यह है कि मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों का तापमान 7 डिग्री के आसपास पहुंच गया है। लोगों को ठंड से बचने के लिए अलावा का सहारा लेना पड़ रहा है।

मौसम विभाग ने मध्यप्रदेश के आधा दर्जन संभाग सहित नर्मदापुरम जिले में कहीं-कहीं मध्यम से घने कोहरे का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसके अनुसार नर्मदापुरम के साथ रीवा, सागर, भोपाल, चंबल, ग्वालियर संभाग तथा नीमच और मंदसौर जिलों में कहीं-कहीं मध्यम से घना कोहरा हो सकता है। 5 और 6 जनवरी को भी ऐसा ही मौसम रहने की संभावना है।

सागर और छतरपुर जिलों में कहीं-कहीं शीतल दिन रहने की संभावना है। पिछले चौबीस घंटे में दतिया और सागर में शीतल दिन रहा तथा रायसेन, जबलपुर और छतरपुर में हल्के से मध्यम तथा दमोह, सागर और भोपाल में मध्यम से घना कोहरा रहा। प्रदेश का सबसे कम न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस नौगांव एवं गुना में दर्ज किया गया।

कोहरे का प्रभाव

  • ड्रायविंग में मुश्किल, सड़क यातायात में दुर्घटना की संभावना
  • हवाई अड्डों पर न्यूनतम दृश्यता होने से उड़ान प्रभावित
    मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
  • घने कोहरे में मौजूद कण पदार्थ और विभिन्न प्रकार के प्रदूषक के संपर्क में आने से फेफड़ों में कार्यक्षमता कम, खांसी और सांस की तकलीफ बढऩे की संभावना
  • आंखों में जलन, लाली या सूजन हो सकती है।
    शीतलहर का प्रभाव
  • लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से फ्रास्ट बाइट और विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना बढ़ या बिगड़ सकती है
  • कंपकंपी को नजरअंदाज न करें, यह पहला संकेत है कि शरीर की गर्मी जा रही है।
  • बाहरी शरीर के अंग जैसे अंगुलियों, नाक और कर्णपालि की त्वचा पीली, सख्त, सुन्न पड़ सकती है
  • कुछ स्थानों पर कृषि, जलापूर्ति, परिवहन और बिजली क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं।

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