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इंद्र के अहंकार को नष्ट करने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पूजा प्रारंभ कराई

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इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के प्रारंभ में नर्मदापुरम जिला सर्व ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष जितेंद्र ओझा के नेतृत्व में ब्राह्मण समाज ने व्यास पीठाधीश्वर पंडित सुमितानंद का अभिनंदन किया।

इस अवसर पर जितेंद्र ओझा ने अपने उद्बोधन में कहा कि आचार्य श्री समाज की धरोहर है और कम उम्र में उनके इस अद्भुत ज्ञान से हम सभी लाभान्वित होते हैं।

व्यासपीठ से आचार्य सुमितानंद ने श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस की कथा में भगवान की बाल लीलाएं, पूतना का उद्धार एवं सकट भंजन लीला, माखन चोरी लीला, मृदा भक्षण लीला, भगवान श्री कृष्ण एवं ब्रजवासियो का गोकुल से वृंदावन आना एवं गो चारण लीला सहित छप्पन भोग एवं इंद्र की पूजा बंद करा कर प्रकृति से जुड़े गोवर्धन पर्वत की पूजा प्रसंग को अपनी मधुर वाणी से श्रद्धालुओं को समझाया।

आचार्य ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने अपने जन्म के पश्चात कई बाल लीलाएं की यशोदा भगवान की लीलाओं से एक और प्रसन्न थी तो दूसरी ओर गांव की ग्वालन महिलाओं की शिकायत पर कृष्ण से नाराज भी रहती थी। आचार्य ने कहा कि जग हंसाई से बचने के लिए यशोदा ने कई बार श्रीकृष्ण को समझाया लेकिन माखन चोरी करना बंद नहीं किया।

एक दिन यह स्थिति आई उन्होंने श्रीकृष्ण को ऊखल से बांध दिया। आचार्य सुमितानंद ने कथा को विस्तार देते हुए इंद्र के अहंकार की कथा एवं गोवर्धन पूजा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा रुकवा दी और ग्वाल वालों से कहा कि इंद्र की बजाए गोवर्धन की पूजा करें।

इस बात से इंद्र अत्यधिक नाराज हुआ और उसने बादलों को आज्ञा दी कि वे तेज बारिश करें। भगवान श्री कृष्ण ने एक उंगली पर गोवर्धन धारण किया व समस्त ग्वाल वालों को परिवार सहित उसके नीचे आश्रय दिया। प्रभु ने सात दिनों तक गोवर्धन को अपनी उंगली पर धारण किया। जब इंद्र का अहंकार नष्ट हुआ।

बादलों की वर्षा रुकी तब भगवान श्री कृष्ण ने सभी ग्वाल वालों को गोवर्धन के नीचे से बाहर निकाला। सभी ने गोवर्धन की पूजा पुनः की और भगवान का यशोगान किया। छप्पन भोग का आयोजन किसी प्रसन्नता में भागवत कथा में किया जाता है एवं भगवान के यस की श्री वृद्धि चारो और जाती है। कथा के यजमान श्रीमती निर्मला गौरीशंकर सोनिया एवं राजेश अनीता सोनिया ने कथा प्रारंभ होने के पूर्व श्रीमद् भागवत कथा का पूजन किया एवं आचार्य का पुष्पहार से स्वागत किया।

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