इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर इटारसी में चल रही राम कथा के आज छटवे दिवस पर नर्मदांचल के जाने माने कथा वाचक जगद्गुरु शंकराचार्य के शिष्य आचार्य पंडित नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने आज भगवान की बाल लीलाओं के साथ राम कथा प्रारंभ की।
उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में 16 संस्कार है जिनमें नामकरण भी एक संस्कार है। जीवन में मनुष्य का नाम बड़ा महत्व रखता है। यदि विधि विधान के साथ नाम करण हो तो व्यक्ति का विकास होता है। आज हमारे दुख कारण केवल इतना ही है कि हमने अपने संस्कार और संस्कृति को त्याग कर पश्चिमी सभ्यता को ग्रहण कर लिया है। यदि हम आज भी अपनी संस्कृति को पकड़ लें तो सुखी हो जायेंगे। विश्वामित्र का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भक्ति भगवान की ऐसी हो कि भगवान हमारे पीछे पीछे चलने को तैयार हो जायें। भगवान से मिलने के लिए कोई संसाधन या कार मोटर की जरूरत नहीं है।
विश्वामित्र मन के रथ पर बैठ कर भगवान से मिलने जाते हैं। मनुष्य जितने जल्दी मन से भगवान से मिल सकता है, उतने जल्दी मिलने का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ईश्वर से मिलने और प्राप्ति का सबसे महत्वपूर्ण साधन केवल मन है। कल धनुष भंग और भगवान का विवाह की कथा सुनायी जाएगी। कथा के आयोजक आनंद दीक्षित एवं कौशिक हैं।