धर्म निरपेक्षता के आदर्श हैं शिवाजी : डॉ. कृष्णगोपाल

Post by: Rohit Nage

इटारसी। सरस्वती शिशु मंदिर (Saraswati Shishu Mandir) में आयोजित हिंदवी स्वराज्य (Hindavi Swarajya) की 350 वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यशाला में भोपाल (Bhopal) से आये माधव सिंह दांगी (Madhav Singh Dangi) की अध्यक्षता में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ।

मुख्य अतिथि डॉ. कृष्णगोपाल मिश्र (Dr. Krishnagopal Mishra) एवं अन्य अतिथियों ने सरस्वती (Saraswati), भारत माता (Bharat Mata) और शिवाजी (Shivaji) के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए संयोजक डॉ. संतोष व्यास (Dr. Santosh Vyas) ने कहा कि भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए हिन्दवी स्वराज के कार्यक्रम वर्ष भर देश स्तर पर आयोजित किए जाएंगे। मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कृष्ण गोपाल मिश्र ने कहा कि छत्रपति शिवाजी धर्म निरपेक्षता के उत्तम आदर्श हैं।

उनके शासन में अन्य धर्म ग्रंथों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की गई तथा शत्रु पक्ष की नारियों का सम्मान सदा सुरक्षित रहा, किंतु उन्होंने हिन्दू धर्म की सनातन संस्कृति पर प्रहार करने वाली आक्रामक शक्तियों को भी सदा दंडित किया। शिवाजी सतर्क और दूरदर्शी शासक थे। उन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखी और हिन्दू साम्राज्य का पथ प्रशस्त किया। उनकी आदर्श नीतियां राष्ट्रहित में आज भी प्रासंगिक हैं। कार्यशाला में जिले की विभिन्न तहसीलों से आए वक्ताओं ने भी बड़ी संख्या में प्रशिक्षण प्राप्त किया।

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