अब भी दम्भ भरा है अनुराग के बयान मे

क्रिकेट पर कोर्ट का लगाम जायज़

क्रिकेट पर कोर्ट का लगाम जायज़
-भारतभूषण आर गांधी 


खेलों के संगठनों पर राजनैतिक लोगों का कब्ज़ा हमेशा से खेल के लिए घातक ही रहा है। किसी भी स्तर पर खेल में राजनीति दिखाई देती है। फिजिकल एजुकेशन में स्नातक होकर स्कूल कॉलेज में पीटीआई या खेल प्रशिक्षक बनने वाले किसी से भी पूछ कर देख लिया जाये तो उनके मुंह से खेल प्रतिभाओं के दमन की कहानियां ही सुनाई देंगी। वो खुद ही बता देंगे कि पहले दबाव और बाद में स्वार्थ या भ्रष्टाचार के कारण कितने युवा खिलाड़ी दमन का शिकार हो गए। जिले के खेल एसोसिएशन या जिला खेल अधिकारी से पूछ कर देख लिया जाये कि खेल के प्रति देश की राजनीति कितनी संजीदा रही है। इसका कारण देश के राजनैतिक कर्णधारों द्वारा खेल नीति को रंडीखाना बना देना कहा जाये तो शायद उच्चारण में भले बुरा लगे पर व्यवहार में यही सच दिखाई देगा।
भारतीय फिल्म जगत भारतीय जीवन का आईना हैं, इसे कौन झुठला सकता है। इस सच्चाई को खेल पर ही बनी और सुपर हिट फिल्मों में चाहे किसी भी फिल्म को लिया जाये सब में राजनीति का गन्दा स्वरुप स्वतः ही स्मृति पटल पर दिखाई देता है। शाहरुख़ खान वाली हॉकी की चक दे इंडिया, सलमान वाली सुलतान, आमिर वाली दंगल, इरफ़ान वाली मिलखा सिंह, प्रियंका वाली मेरीकाम, इमरान हाशमी वाली अज़हर ये सभी अपने आप आपको उन दृश्यों को जरूर याद दिलाती हैं जहाँ राजनीति की सच्ची तस्वीर दिखाई देती है। ये यहाँ एक नंगा सच ये भी है कि खिलाड़ी को खेल के लिए उतना नहीं मिलता जितना हालिया चर्चित खेल आधारित फिल्मों के निर्माताओं या नायक नायिकाओं को मिल गया। दूसरा पहलू यह है कि भारतीय दर्शक खेल प्रतिभाओं को परदे पर देखना पसंद करता है। माना कि कठिन परिस्थितिओं से मेहनत करके अपने बलबूते पर ये खिलाड़ी सफल हुए लेकिन इनके राष्ट्रीय खेल संगठनों पर काबिज नेताओं ने देश की प्रतिभाओं को धन के बदले कुचला ही है। क्रिकेट में मलाई ज्यादा है इसलिए एंट्री भी बड़े नेताओं की या उनके संरक्षित लोगों की होती रही है। भारतीय ओलिंपिक संघ के तकनिकी रूप से हाल ही में बने संरक्षक सुरेश कलमाड़ी को आप क्या कहेंगे। लगभग सभी प्रदेशों के क्रिकेट एसोसिएशन पर काबिज़ नेताओं के बारे में क्या आप नहीं जानते।
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट बोर्ड और राजनीति पर लगाम कसने का काम किया है, उसका वास्तविक खेल प्रेमी प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष सम्मान जरूर कर रहे होंगे, कहीं न कहीं उनके कलेजे को ठंडक मिली होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटाए जाने पर जो बयान अनुराग ठाकुर ने दिया है उससे तो केवल इस दम्भ के दर्शन होते हैं कि देखता हूँ कि क्रिकेट को रिटायर्ड जज कैसे चलाएंगे या चला पाते हैं।
BBR Gandhi

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