- पुरातन संस्कृति को बरकरार रखने के लिए मिट्टी के दीपकों को बाजारों से खरीद रहे
कानपुर, 26 अक्टूबर (हि.स.)। दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही लोग खासकर युवा अपने घरों को सजाने के लिए लाइटिंग के सामानों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। वहीं बुजुर्ग अपनी पुरातन संस्कृति को बरकरार रखने के लिए मिट्टी के दीपकों को बाजारों से खरीद रहे हैं, क्योंकि उनको पता है कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार मिट्टी के दीपक के बिना त्योहार अधूरा है और इसके महत्व की भी जानकारी है। मान्यता है कि दीपावली में मिट्टी के दीपक से घर को जगमग करने से वास्तु दोष दूर हो जाते हैं।
आचार्य रामऔतार पाण्डेय ने शनिवार को बताया कि दीपावली को जगमग करने वाली परंपरागत मिट्टी के दीयों की मांग आज भी उतनी ही बरकरार है, जितनी इन झालरों और सजावटी आइटमों के आने से पहले हुआ करती थी। मिट्टी के दीपक का विश्व में आज भी प्रभावशाली महत्व है। मिट्टी का दीया पांच तत्वों से मिलकर बनता है जिनसे ही उनका निर्माण कुम्हार के हाथों द्वारा होता है। पानी, आग, मिट्टी, हवा तथा आकाश तत्व ही मनुष्य व मिट्टी के दीये में मौजूद होते हैं। इस दीये का दीपक जलाने से ही समस्त अनुष्ठान कर्म आदि होते हैं। दीपावली के शुभ अवसर पर मिट्टी के दीयों का ही अत्यंत महत्व है। वास्तु शास्त्र में इसका महत्व इस बात से है कि यदि घर में धनतेरस और दीपावली पर अखंड दीपक की व्यवस्था की जाए तो वास्तु दोष समाप्त होता है।
लक्ष्मी देवी का होता है आगमन
आचार्य रामऔतार पाण्डेय का कहना है कि दीपावली के अवसर पर धन-धान्य की देवी माता लक्ष्मी के पूजन की परंपरा रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माटी के दीपक में सरसों का तेल डालकर देवी का पूजन किया जाता है। यह दीपक पूरी रात जलाए रखा जाता है ताकि रात्रि में दीये की रोशनी में लक्ष्मी देवी के आगमन का मार्ग प्रशस्त रहे।