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रियल्टी शो से ज्यादा आजकल सोशल मीडिया स्ट्रांग हो गया है

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(सुनील सोन्हिया और अपूर्व शुक्ला की बातचीत)गत दिवस एक कॉलेज में परफॉर्म करने म्यूजिक कंपोजर एवं सिंगर सचेत टंडन एवं परंपरा ठाकुर भोपाल आये, कुछ दिनों पहले रिलीज़ हुई सुपर हिट फ़िल्म कबीर सिंह का गाना “बेख्याली में भी तेरा ख्याल आये” काफी चर्चा में रहा और दर्शकों ने उसे काफी पसंद किया ,म्यूजिक कंपोजर सचेत टंडन और परंपरा ठाकुर ने अपने अनुभव शेयर किए ।

सचेत और परंपरा की जोड़ी कैसे बनी?
हमने साथ में एक शो वॉइस ऑफ इंडिया किया था 2015 में तब ही हमने डिसाइड किया कि साथ काम करें ,हमारी क्रिएटिविटी ऐसी थी कंपोजीशन मैं रुझान था, तो दोनों का मिलना बहुत जरुरी था फिल्म टॉयलेट एक प्रेम कथा से हमने डेब्यू किया था,जिसका गाना आज से तेरी सारी गलियां मेरी हो गई सुपर डुपर हिट हुआ फिर यमला पगला दीवाना, बत्ती गुल मीटर चालू उसके बाद कबीर सिंह की हम खुश है कि हमारे बनाए हुए सॉन्ग्स लोग पसंद कर रहे हैं।

आप टेलेंट शो से आए हैं आपको क्या लगता है आज के समय में टैलेंट शो वर्क प्रोवाइड करते हैं?
मुझे लगता है रियल्टी शो से ज्यादा आजकल सोशल मीडिया स्ट्रांग हो गया है लोग अपने वीडियोस खुद बनाते हैं लोगों के अंदर इतना कॉन्फिडेंस आ गया है कि कुछ करके दिखाएं अगर रियलिटी शो का देखें तो पहले भी अच्छा था और आज भी अच्छा है आपको एक प्लेटफार्म देता है कि आप लोगो तक पहुंच सको।

फ़िल्म का सब्जेक्ट ज़रूरी होता है?
अभी ताना जी फ़िल्म आने वाले है,इतना इम्पॉर्टेन्ट सब्जेक्ट है, जैसे कबीर सिंह हम लोगों के लिए एक करेक्टर था,हमारे पास प्लेटफॉर्म ही नहीं होगा बाद दिखाने तो दायरा कम हो जायेगा इसलिए फ़िल्म का सब्जेक्ट बहुत इम्पॉर्टेन्ट है, हर एक फिल्म के पीछे हमें रिसर्च करनी पड़ती है उसमें किस तरह के शब्द हैं कैसी धुन बनानी है तो बहुत चैलेंज होता है हर दिन बहुत इंटरेस्टिंग भी होता है म्यूजिक नया मोड़ लायेगा गाने में।

आपने लंबे समय तक क्लासिकल म्यूजिक सीखा लेकिन उसको कंटिन्यू क्यों नहीं किया?
मैंने गीत ग़ज़ल भजन क्लासिकल रॉक सारे जोनर्स का मिक्चर करके शायद हम कुछ क्रिएट कर सकते हैं जैसे अभी हम तानाजी फिल्म की बात करें तो हमारा सॉन्ग्स रा रा रा क्लासिकल पर बेस्ड है, हमको पता है वह राज है जितने भी म्यूजिक में हमने जोन्स सीखे हैं वो मैं हमें कंपोस करने में बहुत मदद करते हैं, समय बदलता रहता है तो हमें जमाने के साथ चलना पड़ता है हमारी यही कोशिश रहती है कि हम जो भी क्रिएशन करें उसमें कोई राग रहे हो क्लासिकल से जुड़ा हो, तो आप हम लोगों के गानों को गाओगे तो तरह से आपका रियाज होगा क्योंकि वह राग पर बेस्ड होंगे।

फिल्म कबीर सिंह का बेख्याली सॉन्ग आपको कैसे मिला,जो कबीर सिंह का कैरक्टर था उसको आपने कैसे समझा?
जब डायरेक्टर ने हमें स्क्रिप्ट बताई पूरी टीम के साथ मीटिंग हुई लेकिन हमारे पास कुछ भी रेडीमेड नहीं होता है कुछ भी क्रिएशन करने में हमंक 20 से 25 दिन का समय लगता है, कहने बोल दिया की हमें 20 से 25 दिन या 1 महीने का समय लगेगा लेकिन भगवान से जोड़ता है संगीत चाहे तो मुझे कुछ बनाने में 6 महीना भी लग सकता है लेकिन वो सॉन्ग हमने 2 दिन में ही बना लिया था, फिर हमने डायरेक्टर को कॉल किया कि कुछ रेडी हुआ है, फिर हमने धुन सुनाई तो उन्होंने कहा कि ये कुछ डरावना से लगा रहा है,मुझे समय दो थोड़ा सोचने का लेकिन आधा दिन भी नहीं हुआ और डायरेक्टर का कॉल आया कि धुन बस सी गयी है मन मे कुछ हॉन्टेड टाइप लग रही है,हम लोग प्रयास करते हैं कई बार रिटेक होते हैं ,की कुछ अच्छा बना सकें फिर सॉन्ग का लिरिक्स तैयार हुआ और वो सॉन्ग काफी पसंद किया गया।

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