– न…न करते हुये भी नरवाई जला बैठे,
– केवल नारा न बनायें, नरवाई न जलाने का संकल्प को
– नरवाई के सस्ते वैज्ञानिक निपटान खोजने की अवश्यकता
– कलेक्टर के मार्गदर्शन में सारिका का जागरुकता कार्यक्रम
इटारसी। सूरज हुआ मद्धम, चांद जलने लगा। ये गीत की पंक्तियां आज सच होती दिख रही हैं। नरवाई के धुएं ने जहां सूर्य को फीका कर दिया है, तो रात में भी लपटों के कारण आसमान नारंगी दिख रहा है। थोड़ी सी असावधानी या तेज हवा का प्रकोप इसे गंभीर स्थिति में पहुंचा सकता है। यह बात नेशनल अवार्ड (National Award) प्राप्त विज्ञान प्रसारक (Science Broadcaster) सारिका घारू (Sarika Gharu) ने नरवाई को न जलाने का संदेश देने के जागरूकता कार्यक्रम (Awareness Program) में कही। सारिका ने बताया कि यह कार्यक्रम नर्मदापुरम कलेक्टर नीरज कुमार सिंह (Narmadapuram Collector Neeraj Kumar Singh) के मार्गदर्शन में किया गया।
सारिका ने कहा कि तमाम सरकारी समझाईश और सजा की चेतावती के बाद भी मूंग (Moong) के मोह के आगे कुछ किसान नरवाई के निपटारे के लिये आग का खेल खेलने से बच नहीं पा रहे हैं। प्रशासन की अपनी सीमायें होती हैं, अत: सामूहिक निर्णय लेकर नरवाई को न जलाने का निर्णय लेना पड़ेगा। कार्यक्रम में ग्रामीण बच्चों को संबोधित करते हुये सारिका ने कहा कि वे अपने घरों में बड़ों से नरवाई न जलाने की जिद करें। नरवाई जलती खेत में है, लेकिन इसका पयावर्णीय दुष्परिणाम कई वर्ग किलोमीटर (Sq. Km) तक फैलता है, जिससे मनुष्य के अलावा पशुओं एवं अन्य सूक्ष्म जीवों को भी नुकसान पहुंचता है।
सारिका ने इस समस्या के स्थाई हल के लिये कृषि वैज्ञानिकों (Agricultural Scientists) से रबी की फसलों में और कम अवधि की वैरायटी को विकसित करने की अवश्यकता बताई ताकि तीसरी फसल के लिये खेत तैयार करने कुछ और समय मिल सके। इसके साथ ही नरवाई के पर्यावरण मित्र निपटान के लिये और सस्ते उपाय खोजने की बात कही। सारिका ने आव्हान किया कि नरवाई न जलाने के संदेश को केवल नारे बोलने या सुनने के रूप में न लें बल्कि इसके पालन के लिये सामूहिक निर्णय लें।
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आखिर क्यों याद आयीं ये पंक्तियां : सूरज हुआ मद्धम, चांद जलने लगा


Rohit Nage
Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.
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