- प्रशासन का अनुरोध फिलहाल नर्मदा स्नान से दूरी बनायें
- सेठानी घाट के आसपास देखा गया है बड़ा सा मगरमच्छ
- फिलहाल नर्मदा नदी में स्नान करना खतरे से खाली नहीं
नर्मदापुरम। सावधान! अभी नर्मदा नदी (Narmada River) में स्नान करना खतरे से खाली नहीं है। नर्मदा के सेठानी घाट (Sethani Ghat) पर मगरमच्छ देखा गया है। ऐसे में नर्मदा में नहाना खतरे से खाली नहीं है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से फिलहाल नर्मदा स्नान से दूरी बनाने का आग्रह किया है। मगरमच्छ (Crocodile) काफी खतरनाक जीव होता है, जिसकी पकड़ मजबूत होती है। यदि एक बार इनसान इसकी पकड़ में आ गया तो उसे बचाना मुश्किल होता है, अत: जान जोखिम में डालने से बेहतर है, कुछ दिन नर्मदा स्नान से दूरी बनाकर रखी जाए।
जिला प्रशासन (District Administration) ने नर्मदा नदी से दूरी बनाए रखने के लिए एडवायजरी (Advisory) जारी की है। प्रशासन की ओर से मगरमच्छ के विषय में बताया गया है कि मगरमच्छ एक बार में अपनी सांस 15-30 मिनट तक रोक के रख सकता है। वे अपना शिकार पानी में छुपकर घात लगाकर करते हैं। बारिश के समय मटमैले पानी में छुपना उनके लिए और आसान हो जाता है। ऐसे में यदि आपको पानी सतह पर काफी समय से मगरमच्छ नहीं दिख रहा है, तो भी उधर मगरमच्छ घात लगाकर छिपा हुआ हो सकता है।
नर्मदा नदी सेठानी घाट पर स्नान करना सुरक्षित नहीं है
एक बार में मगरमच्छ पानी के अंदर से हवा में 6 फुट तक की छलांग लगा सकते हैं। घाट पर स्नान करना सुरक्षित नहीं है। नदी किनारे पानी की तरफ पीठ करके खड़े नहीं हों। घाट पर पूजा करना सुरक्षित नहीं है। कुछ दिन घाट पर नहीं जायें। मगर के मुंह की पकड़ जानवरों में सबसे शक्तिशाली है। एक बार उसकी पकड़ में आने के बाद किसी भी व्यक्ति को बचाने की संभावना न के बराबर है। आम जानकारी के विपरीत मगरमच्छ जमीन पर 18 किमी प्रति घंटा तक की गति से दौड़ सकते हैं। यदि कहीं नदी के बाहर मगरमच्छ दिखता है तो भी उसके करीब नहीं जायें। तत्काल सूचना वन विभाग को दें।
बारिश के समय मगरमच्छ जिस इलाके में रहते हैं, पानी के अत्यधिक बहाव के कारण वो अक्सर वहां से आबादी क्षेत्र के करीब नदी या नाले में आ जाते हैं। कुछ समय में पानी कम होने पर वो पुन: अपने रहवास में चले जाते हैं। सभी नागरिकों से अनुरोध है कि जब तक मगरमच्छ दिखना बंद नहीं होता है, तब तक घाट/नदी किनारे पर नहीं जायें।