इटारसी। मनुष्य को ईश्वर की भक्ति, साधना, उपासना, जप, तप ईश्वर के लिए ही करना चाहिए, नश्वर के लिए नहीं। दुनिया के नश्वर पदार्थ तो मेहनत, पुरूषार्थ, प्रयत्न से प्राप्त कर लेना चाहिए। उक्त उद्गार संत भक्त पं. भगवती प्रसाद तिवारी ने समीपस्थ ग्राम पांजरा में चल रही भागवत कथा के चतुर्थ व्यक्त किये।
कथा को विस्तार देते हुए उन्होंने कहा कि मनुष्य अपने कर्तव्य के साथ परम कर्तव्य भगवत प्राप्ति को भी लक्ष्य बनाकर जीवन बिताए। राजा परीक्षित को श्री शुकदेव मुनि ने समझाया कि मनुष्य को कितना भी काम, झंझट, परेशानी हो शरीर और आत्मा के लिए समय अवश्य निकालें। भक्ति, ज्ञान, सत्संग, सुमरण से ही मरण सुधरता है। जो क्षण और कण को बचाने की कला जानता है, वह महान कार्य में सफल हो जाता है। हम अज्ञानतावश संसार में बाहर से सुखी होने के कारण दुखी रहते हैं।
सद्गुरु शुकदेव मुनि ने भागवत कथा सुनाकर राजा परीक्षित को भीतर आत्म सुख का खजाना भरा है, यह ज्ञान करा दिया था। कोई चीज समीप जाने पर बिना मांगे मिल जाती है। जैसे बर्फ के पास शीतलता, अग्नि के पास जाने पर उष्मा, प्रकाश, गर्मी और गुलाब के बगीचे के पास सुगंध अपने आप मिलती है। इसी प्रकार भगवान, ईश्वर से, धर्म से समीपता, निकटता बढ़ाओ सब कुछ प्राप्त होता है। आज श्रीमद् भागवत सत्संग में चतुर्थ दिवस भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से आध्यात्मिक ढंग से मनाया गया।
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भक्ति ही परमात्मा से मिलन कराती है: तिवारी

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