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चीन ने अरुणाचल में दो जगहों तक पेट्रोलिंग बढ़ाने की मांग करके नया विवाद खड़ा किया

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  • – पीएलए के सैनिकों ने ‘सेमा’ के घने जंगल वाले इलाके में रॉक पेंटिंग भी की
  • – सुपर हाई एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज तक निगरानी रखना है चीन का मकसद

नई दिल्ली, 06 अक्टूबर (हि.स.)। भारत और चीन के बीच सैन्य कमांडर स्तरीय 21 दौर की वार्ता के बावजूद पुराने मुद्दे अभी सुलझ नहीं पाए हैं लेकिन इस बीच चीन ने भारतीय सीमा के अंदर अरुणाचल में दो जगहों तक अपनी पेट्रोलिंग बढ़ाने की नई मांग करके एक और विवाद खड़ा कर दिया है। पीएलए के सैनिकों ने ‘सेमा’ के घने जंगल वाले इलाके में रॉक पेंटिंग भी की है। चीन की यह मांग उस समय आई है, जब भारत ने अरुणाचल प्रदेश में लगभग 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर दो सुपर हाई एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज शुरू की है।

देश का पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ 1,129 किलोमीटर लंबी एलएसी साझा करता है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चल रहे गतिरोध के चलते भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है। दोनों देशों के बीच 21वीं बैठक इसी साल की शुरुआत में 19 फरवरी को चुशूल-मोल्दो सीमा बैठक बिंदु पर हुई थी। भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए पिछले दौर की वार्ताओं में हुई चर्चा के आधार पर पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष क्षेत्रों में पूर्ण विघटन की मांग की गई, लेकिन अभी तक चीन की ओर से समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है।

चीन और भारत के बीच 22वें दौर की वार्ता नहीं हो पाई है, लेकिन इस बीच चीनी वार्ताकारों ने दशकों से भारतीय नियंत्रण में आने वाले यांग्त्से और सुबनसिरी नदी घाटी क्षेत्र तक पीएलए सैनिकों को गश्त करने की अनुमति दिए जाने की मांग की है। अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी क्षेत्र में गश्त के अधिकार के लिए चीन की मांग पूर्व में हुए समझौतों के खिलाफ है। इसके लिए पीएलए के सैनिकों ने ‘सेमा’ के घने जंगल वाले इलाके में रॉक पेंटिंग भी की हैं। घने जंगल में लगे पेड़ों और जगह-जगह बड़े पत्थरों और चट्टानों पर चीनी सैनिकों ने अपने प्रतीक चिह्न बनाए हैं।

चीन की मांग वाले दो स्थानों में एक तवांग के उत्तर-पूर्व में यांग्त्से क्षेत्र है, जहां अक्टूबर, 2021 में दोनों पक्षों के बीच घातक झड़प हुई थी। लगभग 200 चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में पड़ने वाले अरुणाचल प्रदेश के रणनीतिक तवांग सेक्टर में घुसकर यहां खाली पड़े बंकरों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था। दूसरा इलाका सुबनसिरी नदी घाटी के साथ मध्य अरुणाचल में है, जो दशकों से भारत के नियंत्रण में है। हाल ही में चीन की यह मांग पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर मौजूदा विवाद के बीच उस समय आई है, जब भारत ने अरुणाचल प्रदेश में दो सुपर हाई एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज शुरू की है। मंडला और कामराला फायरिंग रेंज वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से 50 किलोमीटर की हवाई दूरी के भीतर हैं।

हाई एल्टीट्यूड फायरिंग रेंज में विभिन्न प्रकार के हथियार और निगरानी उपकरण हैं। लगभग 10 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित मंडला और कमराला फायरिंग रेंज की भूमि सशस्त्र बलों को सौंपने की पहल मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने की थी। दोनों फायरिंग रेंज सशस्त्र बलों के लिए बेहद फ़ायदेमंद होंगी, क्योंकि लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में उच्च ऊंचाई वाले रणनीतिक स्थानों पर तैनात सैनिक यहां अपनी मारक क्षमता का परीक्षण कर सकते हैं। चीनी सैनिक अपनी गश्त बढ़ाकर भारत की इन दोनों फायरिंग रेंज तक अपनी निगरानी रखना चाहते हैं।

Rohit Nage

Rohit Nage has 30 years' experience in the field of journalism. He has vast experience of writing articles, news story, sports news, political news.

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