क्रिकेट की पिच जीत के लिए हद पार करेंगे, लेकिन सद्भावना की पिच पर गले मिलेंगे

Post by: Aakash Katare

इटारसी। गांधी मैदान में चौके-छक्के लगाने से पहले शहर के 28 समाजों की टीमों के खिलाड़ी शहर में यह संदेश देने के लिए सड़कों पर उतरेंगे कि शहर में सभी समाज के लोग आपसी समझ और सद्भावना से रहते हैं और आगे भी इस शहर को शांति का टापू बनाये रखने के लिए अपने प्रयासों को जारी रखेंगे।

मैदान में वे भले ही एकदूसरे को प्रतिद्वंद्वी के तौर पर अपनी टीम को जिताने के लिए जोरआजमाइश करेंगे, लेकिन सद्भावना की पिच पर कभी अपने शहर को हारने नहीं देंगे। दरअसल, गांधी स्टेडियम के मैदान पर 10 से 18 दिसंबर तक आचार्य चाणक्य कप क्रिकेट टूर्नामेंट (Acharya Chanakya Cup Cricket Tournament) का आयोजन हो रहा है।

यहां शहर के 28 समाज की टीमें एक दसूरे को हराने के लिए मैदान में उतरेंगी, लेकिन ये केवल खेल तक सीमित होगा, शहर में अशांति का खेल किसी को खेलने नहीं दिया जाएगा। मैदान के बाहर सभी शहर के सभ्य नागरिक होकर रहेंगे।

बता दें कि आचार्य चाणक्य कप क्रिकेट प्रतियोगिता में हर वर्ष विभिन्न समाजों की टीमें क्रिकेट में हाथ आजमाती हैं। खास बात तो यह है कि कई टीमों में अच्छे खिलाड़ी मित्र भी एकदूसरे के खिलाफ खेलते हैं, लेकिन यह केवल मैदान तक सीमित होता है। यह प्रतिद्वंद्विता मैदान से बाहर नहीं जाने देते हैं। यहां मैदान पर न मजहब होता है और ना ही सवर्ण-दलित का भेद। केवल खेल होता है और इस खेल में कोई जीते, कोई हारे, क्रिकेट को नहीं हारने देते हैं।

ये टीमें खेलेंगी इस बार

सिख समाज, कतिया समाज, ब्राह्मण समाज, जैन समाज, साहू समाज, राजपूत समाज, सिंध समाज, कुर्मी समाज, हैहय कल्चुरी समाज, मुस्लिम समाज, क्रिश्चियन समाज, सेन समाज, यादव समाज, वाल्मीकि समाज, रजक समाज, सोनकर समाज, कुचबंदिया समाज, बंसकार समाज, भाट समाज, मराठी समाज, विश्वकर्मा समाज, बंगाली समाज, संत रविदास समाज, ईरानी समाज, पासी समाज, आदिवासी समाज, रैकवार समाज और गुर्जर समाज की इस टूर्नामेंट के माध्यम से एकता की मिसाल कायम करेंगे।

टूर्नामेंट कमेटी के उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र रणसूरमा, दिनेश उपाध्याय, प्रकाश दुबे एवं आस्तिक ओझा ने बताया कि इस अनोखी क्रिकेट प्रतिस्पर्धा का शुभारंभ 10 दिसंबर को गांधी मैदान से सभी टीमों की एक रैली से किया जायेगा। रैली में सभी टीमें शामिल होकर शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरेगी और सामाजिक और धार्मिक एकता की मिसाल पेश करेंगी।

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