बॉलीवुड की दुनिया में कई ऐसी फिल्में हैं, जिन्होंने इतिहास रच दिया। उन्हीं में से एक है दीवार। यह फिल्म 24 जनवरी 1975 को रिलीज हुई थी और आज भी इसे भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में गिना जाता है। दीवार न केवल अपने दमदार अभिनय बल्कि सशक्त कहानी और संवादों के लिए भी जानी जाती है। इस फिल्म की पटकथा और संवाद लिखने का श्रेय प्रसिद्ध लेखक जोड़ी सलीम-जावेद को जाता है।
दीवार की प्रेरणा : मदर इंडिया और गंगा-जमना
सलीम-जावेद ने दीवार की कहानी को लिखने में दो प्रसिद्ध फिल्मों — मदर इंडिया (1957) और गंगा-जमना (1961) से प्रेरणा ली थी। हालांकि इन दोनों फिल्मों की पृष्ठभूमि ग्रामीण परिवेश पर आधारित थी, लेकिन दीवार एक शहरी कहानी थी, जिससे दर्शक उस समय के सामाजिक बदलावों से जुड़ाव महसूस कर सके। सलीम-जावेद ने दीवार की कहानी में कई अलग बिंदु जोड़े ताकि यह फिल्म अपनी अलग पहचान बना सके। केवल 18 दिनों में फिल्म का स्क्रीनप्ले तैयार किया गया और 25 दिनों में इसके संवाद भी लिखे गए।
अमिताभ बच्चन : सलीम-जावेद की पहली पसंद
दीवार में मुख्य किरदार के लिए सलीम-जावेद की पहली और इकलौती पसंद अमिताभ बच्चन थे। जब सलीम-जावेद ने अमिताभ बच्चन को यह कहानी सुनाई, उस समय वे ‘गर्दिश’ नामक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। इस फिल्म में परवीन बाबी और नीतू सिंह भी अहम भूमिका निभा रही थीं, जिसे यश चोपड़ा के एडिटर प्राण मेहरा निर्देशित कर रहे थे। अमिताभ बच्चन को जब दीवार की कहानी सुनाई गई तो वे बेहद प्रभावित हुए। इसके बाद तय किया गया कि फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा को भी कहानी सुनाई जाएगी। जब यश चोपड़ा और उनकी टीम ने इस कहानी को सुना, तो उन्हें भी यह बेहद पसंद आई।
राजेश खन्ना को लेने का प्रस्ताव
फिल्म के निर्माता गुलशन राय ने शुरुआत में राजेश खन्ना को इस फिल्म में लेने का प्रस्ताव रखा। दरअसल, गुलशन राय पहले ही राजेश खन्ना को एक फिल्म के लिए साइनिंग अमाउंट दे चुके थे, इसलिए वे उन्हें इस फिल्म में लेना चाहते थे। हालांकि, सलीम-जावेद ने स्पष्ट रूप से कहा कि दीवार के लिए अमिताभ बच्चन ही सबसे उपयुक्त हैं। उन्होंने गुलशन राय को आश्वासन दिया कि वे राजेश खन्ना के लिए एक दूसरी कहानी तैयार करेंगे। गुलशन राय ने सलीम-जावेद के सुझाव को मान लिया और इस तरह अमिताभ बच्चन को इस फिल्म में एंग्री यंग मैन के किरदार में स्थापित करने का सुनहरा मौका मिला।
दीवार की सफलता और कमाई
दीवार फिल्म की सफलता अभूतपूर्व रही। मात्र 1 करोड़ 30 लाख रुपये की लागत से बनी इस फिल्म ने लगभग 4 करोड़ 75 लाख रुपये का कलेक्शन किया। यह उस समय के लिहाज से एक बड़ी उपलब्धि थी। दीवार ने अमिताभ बच्चन को बॉलीवुड का ‘एंग्री यंग मैनÓ बना दिया। इससे पहले जंजीर ने उनके करियर को नई दिशा दी थी, लेकिन दीवार ने उन्हें बॉलीवुड के शीर्ष अभिनेता के रूप में स्थापित कर दिया।
क्या राजेश खन्ना होते तो दीवार सफल होती?
इस सवाल का जवाब शायद ‘नहीं’ होगा। दीवार में अमिताभ बच्चन के अभिनय का जो प्रभाव पड़ा, वह किसी और अभिनेता के लिए दोहराना मुश्किल होता। अमिताभ का गंभीर चेहरा, दमदार डायलॉग डिलीवरी और किरदार में गहराई ने उन्हें इस फिल्म का आदर्श हीरो बनाया। यही कारण है कि दीवार आज भी बॉलीवुड की आइकॉनिक फिल्मों में से एक है।
दीवार के प्रसिद्ध संवाद
इस फिल्म के कई संवाद आज भी लोगों की ज़ुबान पर हैं। कुछ लोकप्रिय संवाद हैं-
‘आज मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है… तुम्हारे पास क्या है?’
‘मेरे पास माँ है!’
‘मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता।’
निष्कर्ष
दीवार केवल एक फिल्म नहीं बल्कि बॉलीवुड के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। सलीम-जावेद की लेखनी, यश चोपड़ा का निर्देशन और अमिताभ बच्चन के शानदार अभिनय ने इसे एक कालजयी फिल्म बना दिया। अगर आप बेहतरीन कहानी, दमदार संवाद और भावनात्मक गहराई से भरी फिल्म देखना चाहते हैं, तो एक बार फिर दीवार फिल्म जरूर देखें।

अखिलेश शुक्ल
सेवा निवृत्त प्राचार्य, लेखक एवं ब्लॉगर।