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कलेक्टर किस्सागोई: एक साहब बहादुर जहां पहुंच जाते, वहां महफिल सज जाती

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झरोखा/ पंकज पटेरिया। मां नर्मदा जी की गोद में बसे होशंगाबाद जिले में एक साहब कलेक्टर चंद्रहास बिहार साहब ऐसे भी आए थे। जो अपनी गायकी की वजह से जिले में खास तौर पर चर्चित हुए थे। प्रशासकीय कुशलता के साथ विहार साहब में किशोर दा के प्रति अद्भुत झुकाव था, वे पाश्र्वगायक किशोर कुमार के गजब के मुरीद थे। कलेक्टर जिले के दौरे में जहां जाते वहां शानदार महफिल सजजाती थी, उन्होंने गाने बजाने वाले लोगों की एक खासी टीम तैयार कर ली थी, उनमें कोई बैंक कर्मी था, तो कोई शिक्षक था जो अक्सर हुजूर के साथ उनके दौरे में गानों की महफिल सजने पर हरमोनियम तबले पर बेहतरीन संगत दिया करते थे। उनके कार्यकाल में मेरे अजीज एडीएम एसके तिवारी थे, मुझसे कहा कलेक्टर साहब से मिले? मैंने कहा अभी तक तो नहीं तब उन्होंने आग्रह किया जाओ भी मिल लो यार बहुत बढिय़ा आदमी है, मैं उसी वक्त कलेक्टर के चेंबर में दाखिल हुआ, बड़ी-बड़ी भाव भरी आंखें उन पर मोटे फ्रेम का चश्मा मन के भीतर बहती कोई सुरीली गीत की मधुर धुन जिसकी भाव मेहता से दीपित भद्र मुख्य मंडल और एक अलौकिक आभा मंडल ने मुझे अभिभूत कर दिया। थोड़ा समय बिहार साहब के सानिध्य में बिताया फिर मैं लौट आया, जब तक पत्रकारों से उनकी सौजन्य भेंट होती रहती थी। आमतौर पर सप्ताह में दो-तीन बार जिले में उनके प्रोग्राम कभी इटारसी कभी पिपरिया कभी हरदा और कभी कहीं होते रहते थे, हम पत्रकार उनके गाए गाने की हेड लाइन देकर उनकी खबरे देते थे। वह बहुत डूब कर अपनी खनकदार आवाज में किशोर कुमार के गीत गाया करते थे। नशीले, दर्दीले और मस्ती भरे किशोर दा के गीतों से श्रोता समुदाय भी मगन हो झूमने लगता था। मेरा मन कोरा कागज कोरा ही रहा या कोई हमदम ना मिला कोई सहारा, ना मिला हम किसी के ना हुए कोई हमारा ना हुआ, पल पल दिल के पास तुम रहती हो, जीवन मीठी प्यास तुम कहती हो, जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं लेकिन तेरे बिना जिंदगी जिंदगी तो नहीं अथवा मेरे दिल में आज क्या है तू कहे तो मैं बता दूं, ओ मेरे दिल के चैन चैन आए मेरे दिल को दुआ कीजिए। सदाबहार गीत जो उनके द्वारा पेश किए जाते थे और बेशक उनकी जादू भरी प्रस्तुति से लोग सम्मोहित हुए बिना नहीं रह पाते थे। बाद रिटायर्ड होकर शायद छत्तीसगढ़ में कहीं सेटल हो गए। साहब को यहां से रुखसत हुए अरसा हो गया लेकिन सुबह-सुबह या ढलती शाम किशोर दादा का कोई गीत की स्वर लहरियां हवाओं में बहती सुनाई देती। तो अनायास ही गायक कलेक्टर बिहार साहब की याद जहन में कौंध जाती।

pankaj pateria

पंकज पटेरिया, वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार हुसैनाबाद
9893903003,9407505691

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