इटारसी। मां चामुण्डा दरबार भोपाल (Maa Chamunda Darbar Bhopal) के पुजारी पं. रामजीवन दुबे (Pt. Ramjeevan Dubey) ने बताया कि चैत्र कृष्ण पक्ष मंगलवार 22 मार्च को पांचवे दिन रंगपंचमी (Rangpanchami) पर्व मनाया जाएगा। यह दिन देवी-देवताओं को समर्पित किया जाता है।रंग पंचमी का त्योहार होली (Holi) का अंतिम पड़ाव माना जाता है। इस दिन देवी-देवताओं के साथ होली खेली जाती है। यह पर्व हर वर्ष होली के बाद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 22 मार्च दिन मंगलवार को है। शास्त्रों के अनुसार, देवी-देवताओं को समर्पित रंग पंचमी के इस पर्व को देव पंचमी भी कहा जाता है। इस दिन देवी-देवताओं को साथ होली खेलने पर वे सुख-समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद देते हैं।
रंग पंचमी का महत्व
होली के पांचवे दिन मनाया जाने वाले इस त्योहार के दिन घरों में विशेष भोजन बनाया जाता है, जिसे पूरन पोली कहा जाता है। रंग पंचमी के महत्व को देखते हुए इसका एक और नाम प्रचलित है, जिसे श्रीपंचमी (Sripanchami) कहा जाता है। इस दिन देवताओं संग रंग गुलाल खेलने पर घर में श्री अर्थात धन समृद्धि की वृद्धि होती है। रंग पंचमी के दिन शरीर पर रंग नहीं लगाया जाता बल्कि रंग को हवा में उड़ाया जाता है और जब रंग हवा में उड़ता है, तब तमोगुण और रजोगुण का नाश होता है। इनके नाश होने के बाद सतोगुण में वृद्धि होती है।
इसलिए मनायी जाती है रंग पंचमी
प्राचीन काल में जब होली का पर्व कई दिनों तक मनाया जाता था, तब रंग पंचमी के दिन को होली का अंतिम दिन माना जाता था और इसके बाद कोई रंग नहीं खेलता था। वैसे तो इस पर्व को देश के कई जगहों पर मनाया जाता है लेकिन इस पर्व की धूम सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh), मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh), राजस्थान (Rajasthan) और गुजरात (Gujarat) में देखने को मिलती है। इस दिन देवताओं को रंग लगाया जाता है और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने राधा रानी (Radha Rani) के साथ होली खेली थी इसलिए इस दिन श्रीकृष्ण और राधा रानी को रंग अर्पित किया जाता है।
रंग पंचमी शुभ मुहूर्त
रंग पंचमी का पर्व – 22 मार्च दिन मंगलवार
पंचमी तिथि की शुरुआत – 22 मार्च सुबह 6 बजकर 26 मिनट से
पंचमी तिथि का अंत – 23 मार्च सुबह 4 बजकर 24 मिनट तक
देवताओं के साथ होली खेलने का मुहूर्त
12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक
रंग पंचमी कथा
रंग पंचमी को लेकर एक अन्य पौराणिक कथा भी है। मान्यता है कि होलाष्टक के दिन भगवान शिव (Lord Shiva) ने जब कामदेव को भस्म कर दिया था तब पूरे देवलोक में उदासी छा गई थी। सभी देवी-देवता चिंतित हो गए कि बिना कामदेव को किस तरह संसार को चलाया जाए। तब सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और जीवित होने का आश्वासन दिया। ऐसा करने से पूरे देवलोक में देवतागण आनंदित हो गए थे और रंगोत्सव मनाने लगे। तभी से हर साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रंग पंचमी का उत्सव मनाया जाता है।