आचार्य परसाई ने नवरात्रि में घट स्थापना के मुहूर्त के साथ ही माँ जगतजननी की आराधना के लाभ बताए
मदन शर्मा, नर्मदापुरम। शारदीय नवरात्रि पर्व सोमवार से शुरू हो रहा है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमीं तिथि तक माँ जगतजननी के 9 स्वरूपों की उपासना की जायेगी। शारदीय नवरात्रि के अवसर पर मंदिरों में मनोकामना कलशों की प्राण प्रतिष्ठा कर विधि-विधान से पूजन किया जायेगा। वहीं पूजा पंडालों में माँ जगत जननी की प्रतिमाओं की स्थापना की जायेगी। नवरात्रि पर्व को लेकर जिले में जोरदार तैयारियां चल रही हैं। मंदिरों सजावट के साथ पूजा पंडालों के निर्माण का दौर जारी है। आचार्य सोमेश परसाई ने बताया कि नवरात्रि अंधकार व पापों के निवारण का मार्ग है। नवरात्रि के दौरान जितनी साधना बने, जितना तप बने करना चाहिए। प्रदर्शन की अपेक्षा दर्शन पर ध्यान देना चाहिए। हमारे दुर्गा पंडाल सूने होने लगे हैं। ऐसे में नवरात्रि के दौरान देवी दर्शन करने अवश्य जाना चाहिए। वर्तमान समय में नवरात्रि में लोग मनोरंजन करने लगे है। नवरात्रि में मनोरंजन न करके आत्मसात करना चाहिए। बच्चों को देवी प्रतिमाओं के दर्शन कराना चाहिए। देवी प्रतिमा के समक्ष जप करना चाहिए। चारो वर्णों की कन्याओं का समान रूप से पूजन करना चाहिए। कन्याओं के पैर पखारकर उनके जल को अपनी दुकान,व्यवसाय में डालने मात्र से व्यापार में वृद्धि होती है। घर में जल का सिंचन करने मात्र से ज्ञान, वैराग्य और भक्ति और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती हैं। संतान सुख मिलता है। अगर पूजन के दौरान शुद्ध घी नहीं मिले तो तिल्ली के तेल का अखंड दिया लगाना चाहिए। द्वार के सामने रंगोली और आम के पत्ते से तोरण, ध्वजा पताका लगाना चाहिए। नवरात्रि में अगर पूरे 9 दिन व्रत नहीं रख सकते तो 1 दिन व्रत अवश्य रखना चाहिए। व्रत के दौरान कोशिश करना चाहिए कि आप फलाहार का ही उपयोग करें। तेल-घी का उपयोग कम करने से शरीर स्वस्थ रहेगा। आचार्य श्री परसाई ने बताया कि अगर व्यक्ति 9 दिन शक्ति की आराधना करेगा तो उसके जीवन में धन-ऐश्वर्य की सुचिता आ जायेगी। सभी प्रकार का मंगल होगा। इन 9 दिनों तक व्यक्ति को क्रोध और निंदा का त्याग करना चाहिए। नवरात्रि में देवी आराधना के दौरान माँ नर्मदा को प्रणाम करना चाहिए। 9 दिनों तक शक्ति की आराधना करने से वर्षभर का फल मिलता हैं। वहीं जिले नवरात्रि पर्व को लेकर माँ के पंडाल सजने लगे है। ऐसे में शुभ मुहूर्त में नर्मदांचल में माँ जगतजननी विराजमान होंगी।
- घट स्थापना शुभ मुहूर्त
सुबह 5 बजे से 7.30 तक ब्रह्मबेला
सुबह 9 बजे से 10.30 बजे तक शुभ चौघड़िया
दोपहर 1.30 से शाम 7.30 तक लगातार मुहूर्त - रात्रि 10.30 से 12 बजे तक लाभ चौघड़िया
आचार्य सोमेश परसाई ने बताया कि वैसे तो भगवती रात्रि नवरात्रि है इसलिये रात्रि में मुहूर्त की आवश्यकता नहीं पड़ती हैं। किसी भी वक्त घट स्थापना की जा सकती है।