इटारसी। तारण तरण जैन समाज (Taran Taran Jain Samaj) के दस दिवसीय पर्यूषण पर्व (Paryushan Parva) के समापन पर आज क्षमापन दिवस ( Forgiveness Day) के रूप मे मनाया गया। समाज के सदस्यों ने आपस में एक दूसरे से विगत दिनों जाने-अनजाने में हुई गलतियों, भूल के लिए क्षमा मांगी।
इस अवसर पर चैत्यालय (Chaityalaya) में धर्म सभा को संबोधित करते हुए पंडित अतिशय शास्त्री ने कहा कि क्षमा कभी भी सिर्फ उससे नहीं मांगी जानी चाहिए जो वास्तव हमारा दुश्मन है, बल्कि हमें हर छोटे-बड़े जीवों से क्षमा मांगनी चाहिए। क्षमावाणी पर्व पर क्षमा को अपने जीवन में उतारना ही सच्ची मानवता है। हम क्षमा उससे मांगते हैं जिसे हम धोखा देते हैं, जिसके प्रति मन में छल कपट रखते हैं, जीवन का दीपक तो क्षमा मांग कर ही जलाया जा सकता है, अत: हमें बच्चों, बड़े, बुजुर्गों, परिवारजनों, पड़ोसी हों या हमारे मिलने -जुलने वाले, सभी से क्षमा मांगना चाहिए। क्षमा मांगते समय मन में किसी तरह का संकोच, किसी तरह का खोट नहीं होना चाहिए, हमें अपनी आत्मा से क्षमा मागनी चाहिए, क्योंकि मन की कषायो में फंस कर हम तरह-तरह के ढोंग- स्वांग रचकर अपने द्वारा दूसरों को दुख पहुंचाते हैं। उन्हें गलत परिभाषित करने और नीचा दिखाने के चक्कर में हम दूसरों की भावनाओं का ध्यान नहीं रखते हैं जो कि सरासर गलत है। क्षमा हमें अहंकार से दूर करके झुकने की कला सिखाती है।