– चंद्र दर्शन वर्जित, बुध को गणेश महोत्सव का शुभारंभ
– 10 दिवसीय गणेश चतुर्थी का पर्व का शुभारंभ होगा
इटारसी। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी बुधवार 31 अगस्त को दस दिवसीय गणेश चतुर्थी का पर्व का शुभारंभ होगा। इस दिन चंद्र दर्शन की मनाही होती है। चंद्रमा के दर्शन करने से किसी कलंक का सामना करना पड़ता है।
आशीर्वाद की मुद्रा में हों गणेश जी
गणेश भगवान की मूर्ति लेते समय इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि मूर्ति में उनका वाहन मूषक साथ में जरूर होना चाहिए। गणेश जी आशीर्वाद की मुद्रा में हों व उनके एक हाथ में मोदक भी होना चाहिए। ऐसी मूर्ति को वक्रतुंड माना जाता है।
उत्तर दिशा की ओर गणेश जी की सूंड
जहां तक संभव हो मिट्टी की मूर्ति ही घर लाएं। घर के केंद्र में मूर्ति की स्थापना कर पूजा-अर्चना करनी चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि गणपति के आसपास अन्य कोई मूर्ति न हो। गणेश जी की सूंड उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए। इससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
जानिए गणपति बप्पा के हर एक अंग का अर्थ
बड़े कान: गणेश जी के बड़े कान इस बात को दर्शाते हैं कि व्यक्ति को एक अच्छा श्रोता बनना चाहिए। हर तरह की अच्छी बातों को ग्रहण करना चाहिए और उन्हें अपनी जिंदगी में उतारना चाहिए। इससे सफल जीवन की ओर अग्रसर होंगे।
गणेश जी का माथा: भगवान गणेश का माथा काफी विशाल है जिसे बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। गणेश जी के बड़े माथा का मतलब है कि हर काम में बुद्धि लगाकर करनी चाहिए। तभी व्यक्ति को सफलता हासिल होगी और हर काम में समस्या से छुटकारा पा सकेंगे।
गणपति का पेट: भगवान गणेश का पेट काफी बड़ा है जो खुशहाली का प्रतीक माना जाता है। गणपति की का बड़ा पेट दर्शाता है कि अच्छी और बुरी बातों को अच्छी तरह समझें। यानि जो बात सही हो उन्हें आसानी से पचा लें और हर एक निर्णय को सूझ-बूझ कर कर लें।
भगवान गणेश की सूंड: भगवान गणेश की सूंड हमेशा हिलती रहती है। इसका मतलब है कि व्यक्ति को हमेशा एक्टिव रहना चाहिए। जब तक वह एक्टिव नहीं रहेगा तब तक वह सफलता ही सीढयि़ों पर नहीं चढ़ पाएगा।
बप्पा की आंखें: भगवान गणेश की आंखें दूरदर्शिता को दर्शाती है। इसलिए हर एक काम और परिस्थिति को सूक्ष्म दृष्टि से देखनी चाहिए। हर एक चीज का गहराई से अध्ययन करना चाहिए।
एकदंत गणपति जी: भगवान गणेश और परशुराम की लड़ाई हुई थी जिसमें परशुराम ने अपने फरसा से गणपति जी का एक दांत काट दिया था। बाद में गणपति जी ने इसी दांत से पूरी महाभारत लिख दी थी। इससे हमें यहीं शिक्षा मिलती है कि हर एक चीज का सदुपयोग करना चाहिए। किसी भी चीज को बेकार समझकर फेंक नहीं देना चाहिए बल्कि उसका किसी न किसी तरह इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
- भद्रा दिन के 1: 42 बजे तक रहेगी। भद्रा रहित शुभ समय दिन में 3:00 से 4: 30 बजे तक ‘चर’, 4: 30 से 6:00 बजे तक ‘लाभ’, शाम 7: 30 से 9:00 तक ‘शुभ’, स्थिर लग्न ‘कुंभ’ 5: 32 से 7:05 तक, रात्री 9:00 से 10:30 तक ‘अमृत’, 10:30 से 12:00 बजे तक ‘चर’ स्थापना के साथ पूजा-पाठ के साथ आरती होगी। 31 अगस्त से 9 सित बर तक यह पर्व रहेगा। अनंत चतुर्थ दशी को गणेश प्रतिमा का विसर्जन रहेगा। सूर्य का मघा से पू.फा. में प्रवेश होगा। शुक्र का कर्क से सिंह राशि में प्रवेश होगा।