इटारसी नगर के सभी गिरजाघरों के साथ-साथ सारे जगत में प्रभु यीशु का बलिदान दिवस मनाया गया। मसीहियों के लिए गुड फ्राइडे क्रूस पर प्रभु ईशु के सारी मानव जाति के लिए बलिदान का दिन है। यह बलिदान सारी मानव जाति को पापों से छुड़ाने के लिए प्रभु यीशु ने दिया है। उसके विषय में कोई सात सौ साल पहले एक महान भविष्यवक्ता यशायाह ने कहा था। निश्चय उसने हमारे रोगों को सह लिया और हमारे ही दुखों को उठा लिया तो भी हमने उसे परमेश्वर को मारा कूटा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा। परंतु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया। वह हमारे अधर्म के कामों के के लिए कुचला गया। हमारी ही शांति के लिए उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएँ। हम तो सब के सब भेड़ों के समान भटक गए थे हम में से हर एक ने अपना-अपना मार्ग लिया और परमेश्वर ने हम सभी के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया।
क्रूस की सार्थकता मानव के जीवन में सदियों से महसूस की जाती रही है कि ऐसा कोई दिव्या प्रबंध हो कि मनुष्य न सिर्फ पापों से छुटकारा पाए परंतु अपने सृष्टिकर्ता परमेश्वर से भी मेल मिलाप कर ले व मोक्ष प्राप्त करे। इस का प्रबंध स्वर्ग में विराजमान स्वयं परमेश्वर ने प्रभु यीशु को इस संसार में देहधारी कर व भेजकर पूरा किया है। बिना पापों के प्राश्चित के कोई भी परमेश्वर को नहीं देख सकता। अत मनुष्य को पापों से छुड़ाने के लिए प्रभु यीशु इस संसार में अवतरित हुए। क्रूस पर उनके बलिदान से उनके द्वारा बहा गए पवित्र रक्त से ही पापों की क्षमा प्राप्त होती है।
क्रूस पर चढ़े हुए प्रभु यीशु ने अंतिम सात वचनों का उच्चारण किया जो सारे मसीही जगत के लिए प्रभु यीशु के मूल्यवान अंतिम वचन बन गए। आज के दिन संपूर्ण मसीह जगत में इन वचनों पर मंथन किया जाता है। प्रभु यीशु द्वारा क्रूस से कहे हुए सात वचन इस प्रकार हैं।
पहला- हे पिता इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।
छूसरा- आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।
तीसरा- हे नारी देख, यह तेरा पुत्र है और इसी तरह चेले से कहा, यह तेरी माता है।
चौथा- हे मेरे परमेश्वर हे, मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया।
पांचवॉ- मैं प्यासा हूँ।
छठवां- पूरा हुआ हुआ ’श् और सातवाँ’हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ।
प्रभु यीशु का बलिदान हमें के शिक्षा देता है कि सारी मानव जाति के लिए परमेश्वर पिता का प्रेम कितना महान है। आज क्रूस सबको यह सिखाता है कि हमें प्रभु यीशु के बलिदान में विश्वास करने के द्वारा ही अपने पापों से छुटकारा और उद्धार मिल सकता है। प्रभु यीशु का बलिदान और मृतकों में से उनका पुनरुत्थान हमें ये शिक्षा देते हैं की हमें प्रभु यीशु की समानता को अपनाना होगा तभी हम आने वाले भविष्य के लिए आशा की राह देख सकते हैं।
रेव्ह. डॉ. सुभाष पँवार
एसेम्बली ऑफ क्राइस्ट चर्च, इटारसी