विश्वविख्यात संतश्री नीम करौली बाबा का 125 वॉ प्राकट्योत्सव राजधानी भोपाल में भक्ति पूर्ण माहौल में धूमधाम से मनाया गया। जन्मोत्सव में बाबा की 5 पीढ़ी के सदस्य, देश दुनिया के बाबा श्री के भक्त सहित राम के सन्मार्ग चलने वाली भाजपा के अनुशासित सिपाही और राज्य मुख्य मंत्री डॉ मोहन सिंह, खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वाश सारंग सहित अनेक भक्त जन उपस्थित हुए। बाबा नीम करौली जी का राजधानी से गहरा रिश्ता था। वे यहां आते रहते थे। उनके पुत्र यहां शासकीय सेवा में रहे। कीर्ति शेष राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा, भाजपा शीर्ष नेता कैलाश सारंग आदि उनके कई शिष्यों के आग्रह के बाद भी वे किसी के घर न रुककर नेबरी के सिद्ध मनोकामेश्वर मंदिर में रुका करते थे।
राजधानी में एक कार्यक्रम में उनके पौत्र डॉ धनंजय शर्मा अरेरा कालोनी में तो अन्य कार्यक्रम रविन्द भवन में हुए जिनमें सुंदर कांड, रासलीला की मोहक प्रस्तुति सहित सुप्रसिद्ध कालीचरण महाराज का शिव तांडव, और भजन गायक सुधीर व्यास के भजन की प्रस्तुति शामिल हैं। बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश जिले के फिरोजाबाद गांव अकबरपुर में हुआ था। 13 वर्ष की आयु में उनकी शादी हुई, 17 वर्ष की आयु में उन्हें ईश्वर का साक्षात्कार हुआ, और वह घर बार छोड़कर परमात्मा की सेवा में कठिन तपस्या के मार्ग पर चल दिए। उनका मूल नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था।
एक बार ट्रेन से कहीं जाते हुए अंग्रेज राज में उन्हें गाड़ी से उतार दिया था, वे जाकर सामने के खेत में ईश्वर के ध्यान में बैठ गए। चमत्कार की ट्रेन 1 इंच में आगे नहीं बढ़ी, तब यात्रियों ने गार्ड को जाकर बताया कि यह सिद्ध संत महात्मा हैं, इसे माफी मांगें तभी गाड़ी आगे बढ़ेगी। गार्ड तुरंत बाबा के चरणों में जाकर प्रणाम किया और अनेक बार माफी मांगी, ट्रेन आगे बढऩे लगी। इस स्थान का नाम नीम करोली है। कालांतर में इस घटना के कारण बाबा नीम करोली के रूप में देश दुनिया में प्रसिद्ध हो गए। नैनीताल अल्मोड़ा मार्ग पर नीम करोली बाबा ने कैंचीधाम की स्थापना 1962 में की और वहां 15 जून 64 को श्री हनुमान मंदिर में हनुमान जी महाराज की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की।
बाबा साधारण आदमी की तरह रहते, और व्यवहार भी सामान्य। कोई आडंबर नहीं। माला, तिलक, पैर छूने से दूर, कोई चरण स्पर्श करने आता भी था, तो हनुमान जी के चरण स्पर्श करने और हनुमान चालीसा करने का कहते। महिमा और चमत्कार बाबा नीम करौली जी की महिमा सिद्धियां और चमत्कार उदाहरण अनेक हंै। देश से लेकर विदेश तक ये प्रसिद्ध है। यह बात उन दिनों की है जब डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा किसी राजनीतिक उलझन से परेशान थे। बाबा की ख्याति सुनकर वे नीम करौली बाबा की शरण में पहुंचे। बाबा को शर्मा जी अपनी परेशानी बताई। सुनते ही बाबा ने कहा चिंता न कर एक दिन तू देश का बहुत बड़ा आदमी बनेगा। और प्रत्यक्ष किम प्रमाणम।
डॉ. साहब कालांतर में देश के सर्वोच्च पद को महिमा मंडित करते हुए राष्ट्रपति बनाए गए। इसी तरह सर्वत्र प्रसिद्ध प्रसंग ऐसा ही प्रसंग एप्पल के स्टीव जॉब जो एक बहुत बड़ी कंपनी के फाउंडर थे, उनका है। लेकिन दुर्भाग्य की छाया ऐसी आई कि वे पूरी तरह बर्बाद हो गये। बहुत दुखी और घोर निराशा के कारण अवसाद ग्रस्त हो गये। किसी शुभ चिंतक की सलाह पर भारत आए और कैंची धाम बाबा के धाम हजारी दी। अपनी व्यथा कथा सुनाई। नीम करौली बाबा ने तुरंत आशीर्वाद दिया। चिंता फिकर छोड़फिर अपने काम में लग जाओ, उसी शिखर पर पहुंच जाओगे। हुआ वही स्टीव जॉब्स फिर उसी मुकाम पर पहुंच गए। यही स्थिति फेस बुक के मालिक जैक बर्क की हुई थीं। फर्श से अर्श पर पहुंच व फिर जमीन पर आ गिरा था। बाबा के आशीर्वाद से आज फिर वह बुलंदियों पर है।
मुख्यमंत्री का उद्वोधन समरोह को संबोधित करते मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने प्रसन्नता व्यक्त करते कहा हम 33 करोड़ देवताओं के देश में रहते हंै। जन कल्याण के लिए ऐसी संत विभूति या जब तब अवतरित होती रहती है। जन-जन का कष्ट हरने और उन्हें सन्मार्ग पर ले जाने के लिए अपनी लीला करते दुखी पीडि़त जन को आपदा विपदा जंजाल से मुक्त कर आगे बढ़ जाते। ऐसी ही महान विभूति परम पूज्य नीम करौली बाबाजी हंै। हमें उनके सब उपदेशों से प्रेरणा लेकर सद कार्य करना चाहिए। श्री विश्वास सारंग ने भी अपने विचार व्यक्त किए। देश विदेश अनेक नगरों में बाबा नीम करौली के आश्रम है। जहां निरंतर जनकल्याण के सेवा कार्य, निर्धन को भोजन आदि चलते रहते हैं। बाबा ने 11 सितंबर 1973 में वृंदावन में परलोक गमन किया।
जय श्री नीम करौली बाबा की।
पंकज पटेरिया, वरिष्ठ पत्रकार 934024435