इटारसी। आज महर्षि दयानंद गुरुकुल आश्रम जमानी में गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर 35 ब्रह्मचारियों ने यज्ञोपवीत धारण किया और यज्ञ किया। वैदिक शिक्षा गुरुकुल में ग्रहण करने का संकल्प लेते हुए अपने जीवन को वृद्धि बनाने एवं गुरुओं के प्रति कृतज्ञता के भाव रखते हुए अपने जीवन को सफल बनाने में पुरुषार्थ करने का संकल्प लिया।
गुरु सम्मान किया, सीधा प्रसारण दिखाया

सुखतवा के भगवान बिरसा मुंडा महाविद्यालय में मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग, भारतीय ज्ञान परंपरा और महाविद्यालय की रासेयो इकाई द्वारा गुरुपूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरुजनों का सम्मान कर गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया। शुरुआत ज्ञान की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और द्वीप प्रज्वलित कर की गई। अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य डॉ मंजू मालवीय ने की। सहायक प्राध्यापक श्रीमती कामधेनु पटोदिया ने गुरुपूर्णिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। सहायक प्राध्यापक और भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रभारी डॉ सतीश ठाकरे ने कहा कि गुरु सभी को अपने बच्चों के समान मानकर ज्ञान देते हैं। राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई प्रभारी डॉ राधा आशीष पांडे ने कहा कि हमें विद्यार्थी के जीवन में गुरु अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
अध्यक्षता कर रही डॉ मंजू मालवीय ने कबीर जी के दोहे के माध्यम से गुरु का महत्व बताते हुए कहा कि गुरु कुम्हार शिष्य कुंभ है, गढि़-गढि़ काढ़ै खोट। अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट॥ जैसे कुम्हार घड़े में भीतर से हाथ का सहारा देकर, बाहर से चोट मारकर घड़े को सही आकार देता है उसी तरह गुरु भी शिष्य की बुराइयों पर प्रहार कर शिष्य के जीवन को सही रूप देता है। वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ प्रवीण कुशवाहा ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन डॉ राधा आशीष पांडे एवं डॉ सतीश ठाकरे ने एवं आभार ग्रन्थालय प्रभारी डॉ धीरज गुप्ता ने व्यक्त किया। इस दौरान डॉ सौरभ तिवारी, डॉ वेद प्रकाश भारद्वाज, कंप्यूटर महारथी नीरज बिदुआ, तनीषा साहू, स्वयंसेवक रविन्द्र, रवि, मोनिका, अंबिका, स्नेहा, महिमा, नीलम, अनीता, लछमन भलावी सहित अन्य स्वयंसेवक और स्टॉफ तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।
गुरु जीवन निर्माण के आधार स्तंभ

शासकीय कन्या महाविद्यालय इटारसी में गुरु पूर्णिमा आयोजन में मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति में कमला नेहरू सांदीपनी स्कूल भोपाल से वेवकास्ट के माध्यम से प्रसारित कार्यक्रम में सहभागिता की। प्राचार्य डॉ. आरएस मेहरा ने अपने उद्बोधन में गुरु की भूमिका को जीवन निर्माण में आधार स्तंभ बताया। कार्यक्रम में प्राध्यापकों को सम्मानित किया। वरिष्ठ प्राध्यापिका डॉ. हरप्रीत रंधावा ने गुरु-शिष्य परंपरा के ऐतिहासिक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
समाजशास्त्र के प्राध्यापक रविंद्र चौरसिया ने कहा कि शिक्षक एक श्रेष्ठ समाज का निर्माण करता है और एक जागरूक समाज ही देश को सही दिशा प्रदान करता है। डॉ. शिरीष परसाई ने बताया कि गुरु न केवल ज्ञान प्रदाता होते हैं बल्कि वे समाज निर्माता, संस्कार प्रदाता एवं चेतना के संवाहक होते हैं। कार्यक्रम में श्रीमती मंजरी अवस्थी, स्नेहांशु सिंह, रविंद्र चौरसिया, डॉ हर्षा शर्मा, डॉ मुकेशचंद्र विष्ट, डॉ शिखा गुप्ता, डॉ. संजय आर्य, डॉ. श्रद्धा जैन, डॉ नेहा सिकरवार, हेमंत गोहिया, प्रिया कलोसिया, क्षमा वर्मा, करिश्मा कश्यप, राजेश कुशवाहा, मंथन दुबे तथा छात्राएं उपस्थित थी।
एमजीएम में गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन

शासकीय महात्मा गांधी स्मृति स्नातकोत्तर महाविद्यालय इटारसी में भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के तद्भावधान में गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाया। मुख्यमंत्री के मुख्य आतिथ्य में आयोजित गुरु पूर्णिमा के राज्य स्तरीय कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट देखा। मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री कॉलेज एक्सीलेंस, नर्मदापुरम के पूर्व प्राचार्य प्रो.ओएन चौबे, एमजीएम कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. व्हीके सीरिया, संस्कृत विद्यालय इटारसी से आमंत्रित प्राचार्य अशोक भार्गव, अचलेश्वर हनुमान मंदिर के पुजारी रमाशंकर पांडे, महाविद्यालय प्राचार्य डॉ राकेश मेहता एवं वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ अरविंद शर्मा मंचासीन रहे। अतिथियों को शॉल, श्रीफल एवं पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मान किया।
प्राचार्य ने अपने गुरुजन एवं माता-पिता को प्रणाम करते हुए कहा की गुरु न केवल हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं बल्कि हमारा आध्यात्मिक विकास भी करते हैं और हमें अपने जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करते हैं। संस्कृत विद्यालय इटारसी के प्राचार्य अशोक भार्गव ने गुरु की महत्ता का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाने वाला एक ऐसा तत्व है जो हमें निरंतर ज्ञान की खोज में प्रयास करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। सेवानिवृत प्राचार्य डॉक्टर ओ एन चौबे ने प्राचीन एवं आधुनिक गुरु शिष्य परंपरा के संदर्भ में उदाहरण देकर अपने अनुभव और ज्ञान को विद्यार्थियों के साथ साझा किया। पूर्व प्राचार्य प्रो. व्ही के सीरिया द्वारा कहा कि अगर हम अपने जीवन में दान और दया का भाव शामिल कर लेंगे तो हम अपना और दूसरों का जीवन धन्य कर पाएंगे। अचलेश्वर हनुमान मंदिर के पुजारी दयाशंकर पांडे ने तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के राजा दशरथ और गुरु वशिष्ठ एवं कागभुशंडी एवं उनके गुरु के प्रसंग को दोहा-चौपाइयों के माध्यम से सुंदर प्रस्तुती दी और गुरु के महत्व और सामर्थ को परिलक्षित किया। विद्यार्थियों के बीच भाषण प्रतियोगिता में प्रथम संजय चौरे, द्वितीय आस्था केवट एवं तृतीय क्षमा यादव रही। संचालन डॉ. पीके अग्रवाल एवं आभार प्रदर्शन डॉ दिनेश कुमार ने किया।