इटारसी। पुत्र के दीर्घायु होने की कामना को लेकर होने वाले हलषष्ठी व्रत की आज महिलाओं ने खरीदारी की। हलषष्ठी व्रत कल किया जाएगा।
हलषष्ठी व्रत में लगने वाली सामग्री की दुकानें आज जय स्तंभ चौक से तुलसी चौक के आसपास बड़ी संख्या में लगी थीं। आज महिलाओं ने व्रत में काम आने वाले कांस, महुआ के पत्ते और महुआ के फल सहित मक्का और धान की लाई की खरीदारी की है।
शुभ मुहूर्त
षष्ठी तिथि 16 अगस्त मंगलवार को रात 8 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी और 17 अगस्त रात 9 बजकर 21 मिनट तक रहेगी।
पूजा विधि
हलषष्ठी व्रत के दिन महिलाएं को सुबह तल्दी स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद घर या बाहर कहीं भी दीवार पर भैंस के गोबर से छठ माता का चित्र बनाती हैं इसके बाद भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा की पूजा कर छठ माता की पूजा की जाती है। कई जगह महिलाएं घर में ही गोबर से प्रतीक रूप में तालाब बनाकर,उसमें झरबेरी, पलाश और कांसी के पेड़ लगाती हैं और वहां पर बैठकर पूजा पाठ करती हैं एवं हलषष्ठी की कथा सुनती हैं। मान्यता के अनुसार इस व्रत में इस दिन दूध,घी,सूखे मेवे, लाल चावल आदि का सेवन किया जाता है। इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
हलषष्ठी व्रत की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक ग्वालिन दूध दही बेचकर अपना जीवन-यापन करती थी। एक बार वह गर्भवती दूध बेचने जा रही थी तभी रास्ते में उसे अचानक दर्द होने लगा। तो वह एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गई और वहीं पर एक पुत्र को जन्म दिया। ग्वालिन को दूध खराब होने की चिंता थी इसलिए वह अपने पुत्र को पेड़ के नीचे सुलाकर पास के गांव में दूध बेचने के लिए चली गई।
उस दिन हलछठ माता का व्रत था और सभी को भैंस का दूध चाहिए था लेकिन ग्वालिन ने लोभवश गाय के दूध को भैंस का बताकर सबको दूध बेच दिया। इससे छठ माता को क्रोध आया और उन्होंने उसके बेटे के प्राण हर लिए। ग्वालिन जब लौटकर आई तो रोने लगी और अपनी गलती का अहसास किया। इसके बाद सभी के सामने उसने अपना गुनाह स्वीकार कर पैर पकड़कर माफी मांगी।
इसके बाद हर छठ माता प्रसन्न हो गई और उसके पुत्र को जीवित कर दिया। इस वजह से ही इस दिन पुत्र की लंबी उम्र की कामना से हलछठ का व्रत व पूजन किया जाता है।