इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
व्यास पीठ से आचार्य सुमितानंद ने हिरण्याक्ष एवं हिरण्यकशिपु का जन्म, बराह भगवान का प्राकट्य, हिरण्याक्ष का उद्धार, कर्दम जी की तपस्या, मनु शतरूपा की बेटी देवाहुति विवाह कर्दम के साथ एवं कपिल भगवान का प्राकट्य, मनु शतरूपा की तीसरी बेटी प्रसूति का विवाह दक्ष प्रजापति के साथ उनके यहां सती का जन्म, सती चरित्र का वर्णन किया।
मनु शतरूपा के दो पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद का प्रसंग सुनाया। ध्रुव एवं प्रियव्रत के वंश का वर्णन किया। आचार्य श्री ने कहा कि बिना बुलाए कहीं भी जाने पर अपमान होता है, यह प्रमाणित हो गया और दक्ष ने सती का मान नहीं रखा।
सती ने देखा कि यज्ञशाला में सभी देवताओं के स्थान हैं, लेकिन उनके पति भगवान भोलेनाथ का स्थान नहीं है, इस बात पर वह क्रोधाग्नि में जल गईं ओर स्वयं को नष्ट कर लिया। कथा के यजमान निर्मला गौरी शंकर सोनिया एवं राजेश अनीता सोनिया ने व्यासपीठ का पूजन किया।