– गिरिराज को लगा 56 पकवानों का भोग, मना अन्नकूट उत्सव
इटारसी। श्रीराम सरल हैं, राम का नाम पढऩे लिखने और बोलने में भी सरल है, परन्तु श्री कृष्ण का नाम लिखने पढऩे और बोलने में भी कठिन है, तीनों अक्षर कृष्ण में कठिन है ‘क’ ऋ का युक्त है और ‘ष’ ण से संयुक्त है।
दोनों अवतार में भी बड़ा अंतर है। राम जहां दिन के 12 बजे अवतार लेते हैं तो कृष्ण रात के 12 बजे अवतार लेते हैं। राम राजप्रसाद में तो कृष्ण कंस के बंदीग्रह में प्रकट होते हैं। उक्त उद्गार पं.रघुनन्दन शर्मा चौतलाय वाले ने एलकेजी कॉलोनी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दौरान व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि राम के प्राकट्य पर जन्मोत्सव भी राज महल में मनाया जाता है और कृष्ण के साथ बड़ी विसंगति जुड़ी है। जन्म होता है मथुरा में, उत्सव मनाया जाता है गोकुल में। बड़े होते हैं वृन्दावन में और लीला करते है द्वारिका में और अंत में जिस परिवार में कृष्ण का जन्म होता है, उसी परिवार का आपस में संहार करा देते हैं।
शुक्रवार की कथा में पूतनावध का प्रसंग सुनते हुए कथा व्यास ने बताया किस प्रकार पूतना का स्तनपान करते हुए उसका उद्धार कर अपनी मां की गति प्रदान की। साथ ही गिरिराज गोवर्धन के द्वारा संपूर्ण गोप गोपिकाओं गाय, बछड़ों आदि की इंद्र के प्रकोप से रक्षा के लिए गिरिराज का रूपधारण किया गया और फिर छप्पन भोग अर्पित किये गए।
इस अवसर पर प. अनिल मिश्रा द्वारा गिरिराज पूजन एवं छप्पन भोग का कार्य संपन्न कराया। सम्पूर्ण ग्रैंड एवेन्यू परिवार ने बढ़ चढ़ कर छप्पन भोग अर्पित किये एवं सभी श्रद्धालुओं को कथा में पधारने का निवेदन किया है।