फीफा वर्ल्ड कप में जापान ने जो पराक्रम किया, उसका अनुसरण, जापानियों से प्रेरणा लेकर, उत्साह और ऊर्जा लेकर, आत्मविश्वास और मानसिक मजबूती लेकर साउथ कोरिया ने पुर्तगाल को पराजित कर, कर दिखाया, आखिर दोनों देशों की नस्ल, जींस, धम , जीवन शैली और आध्यात्म जो एक हैं, समान हैं।
पुर्तगाल, जिसमें दुनिया का सर्वकालिक, महानतम स्ट्राइकर रोनाल्डो है, पुर्तगाल जिसकी टीम में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मिडफील्डर की फोज है, पुर्तगाल जिसका केवल एक धर्म है, ‘फुटबॉल।’ और साउथ कोरिया में है एकता, एकजुटता, सामंजस्य, और कोरिया में है एकमात्र विश्वस्तरीय, दिग्गज अटेकिंग मिडफील्डर शॉन।
याद करें पिछला विश्वकप, जिसमें इसी शॉन ने जर्मनी के विरुद्ध 2 गोल कर, पराजित किया था। महान खिलाड़ी न दबाव में आते हैं और ना ही विपरीत परिस्थितियों में अपना आपा खोते हैं। जब शॉन बाल लेकर ऑपोनेंट सर्किल में आया, वो 5 पुर्तगाली डिफेंडर्स से घिरा था, शॉन द्वारा इसके बावजूद अपने खिलाड़ी को पिन पॉइंटेड पास, और विजयी गोल। कोरिया की प्रथम बार लास्ट 16 में एंट्री। इस फीफा कप में अभी तक जितने उलटफेर हुए हैं, उतने पहले कभी नहीं हुए।
बेल्जियम, जर्मनी, उरुग्वे का ग्रुप स्टेज से बाहर हो जाना, इस फीफा वर्ल्ड कप में रोमांच, उत्सुकता, उन्माद और मानसिक आवेग में वृद्धि करता है, रोचकता पैदा करता है। कहा जाता है, कि क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, लेकिन फुटबॉल ने इस कहावत को, इस मान्यता को, इस परिपाटी को तोड़ा है। किसी भी टीम द्वारा प्रीक्वार्टर फाइनल में आने पार उत्साह, प्रसन्नता, और आत्मा को उद्वेलित करने के दृश्य, फीफा वर्ल्ड कप के उच्च स्तर को दर्शाता है। हम उम्मीद करें कि एशिया की दो टीम कोरिया और जापान अगले मैच में अपने सर्वोत्तम प्रदर्शन को निरंतर रखेंगी बल्कि उसको और आगे ले जाएंगी।
अखिल दुबे, खेल समीक्षक
