: पंकज पटेरिया
लोकतंत्र के विधानसभा चुनाव का दौर दौरा दिन ब दिन जोर पकड़ता जारी है,और एक दूसरे पर आरोपों की मिसाइल दागी जा रही है। तू तू , मैं मैं की जंग लगातार जारी है। भैया जी इधर के हो या उधर के हो जनता को रिझाने, लुभावने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सब मठ, मंदिर, डयोडी पर माथा टेकने पीछे नहीं। झुग्गी झोपड़ी में भी हरिजन, आदिवासी के घर भोजन करने में भी होड़ लगी है।
अब यह बात अलग है कि जो हुआ है और दिखता है और जो हुआ ही नहीं वह दिखेगा कहां से। इन दोनों बातों में फर्क है। हमने कहा, करके दिखाया और हम करके दिखाएंगे। कहा और करके दिखाया वह सामने बतौर मिसाल मौजूद है। और जो यह कह रहे हैं कि हम करके दिखाएंगे उसकी क्या गारंटी। यह तो जनता को भरवाने के लिए कहा जा सकता है कि आम फलेंगे, तो साहब यह पब्लिक है सब जानती है। सवाल कर सकती है, हुजूर सालों साल से हम आश्वासन सुनते आ रहे हैं, लेकिन आपके आश्वासन के आम कभी फले। लिहाजा यह तमाशा देखते हुए हमारे बुजुर्ग, बाप, दादा दुनिया से चले गए और हम भी बूढ़े हो रहे हैं।
मंच, माइक, माला यह सब चुनाव के बनाव सिंगार हैं। इससे कोई एतराज नहीं। इस बात से भी कोई गुरेज नहीं कि राजनीति के सो कोल्ड माननीय पहले पहले वहां जा रहे हैं यहां कोई नहीं गया। धूम धड़ाका ताम जाम मैं भी होड़ लगी है। तमाशा लगाने वाले भी है और तमाशा देखने वालों का भी खासा हुजूम उमड़ता है, अथवा उमड़ा जाता है।
लेकिन जनाब जनता वास्तविक टेंपो टेंपरेचर नापना मापना जानती है। आप उसे बेवकूफ नहीं बना सकते। विकास प्रगति के इंद्रधनुष दिखते हैं, बाग बगीचे आंगन में गेंदा, गुलाब, मोगरे दिखते हैं, खुशबू देते हैं और आम जब फलते हैं, रसीली गंध भी फिजा में मादकता घोलती है।
अब भविष्य में ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो वक्त ही बताएगा।
नर्मदे हर
पंकज पटेरिया
पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
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