रविवार, सितम्बर 8, 2024

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झरोखा : शादियों में, बढ़ते खर्च, किस तरह हो कम ?

पंकज पटेरिया :
तेज रोशनी शोर शराबा, डीजे के कर्ण भेदी हो हल्ला, सस्ते फूहड़ गानों पर उछलते कूदते, लोटते लड़के लड़कियां, न्योछावर में पैसे लुटाते सैकड़ों रुपए, हर्ष फायर करते नव धनिक बिगड़े आज के सितारे और इस सब धमा चौकड़ी फिजूल के प्रदर्शन से व्यर्थ में महंगी होती जा रही है आजकल शादियां।

ओर इस पर तमगा यह कि तीन सितारा होटल, राजा महाराजाओं के महल यह महंगे मैरिज गार्डन में केवल फोकट की रहीसी दिखाना और शोबाजी के लिए शादी विवाह का आयोजन केवल दिखावा और फिजूलखर्ची ही है। उसके स्थान पर सादगी और पारंपरिक रूप से जामुन आम के पत्तों से, साज सज्जा कर वंदनवार लगा, चौक, मांडवी, रंगोली से सजावट कर, ज्यादा भव्य तरीके से शादी विवाह संपन्न किए जा सकते हैं और बची धनराशि से वर वधु के हित में कुछ और किया जा सकता है।

बल्कि गरीब निर्धन परिवार के बच्चों की पढ़ाई लिखाई अथवा गरीब कन्याओं के शादी विवाह करवाए जा सकते हैं। जो एक पुण्य सराहनीय कार्य होगा। लिहाजा शादियों में बढ़ते खर्च, अपनी बुद्धिमता, विवेक और आपसी समझदारी से एक हद तक कम किए जा सकते हैं। दोनों पक्ष सौहार्द्र से रजिस्ट्रार के यहां शादी रजिस्टर करवा ले।

फिर अपनी अपनी धार्मिक परंपरानुसार परिचितों के साथ प्रेम,सद्भाव के साथ स्नेहभोज अपने सामर्थ्य के अनुसार आयोजित कर, इष्ट देव का आशीर्वाद लेकर कार्यक्रम संपन्न कर फालतू खर्चे से बचा जा सकता है। अनावश्यक आतिशबाजी, शोर-शराबे, ढोल धमाके, डीजे आदि के प्रदर्शन से बड़े खर्चे से बचा जा सकता है।

विवाह एक मंगल कार्य है, इसे मांगलिक वातावरण में ही संपन्न करना चाहिए। ओर उस वैदिक शास्त्र सम्मत परंपरा विरासत का सम्मान करना होगा जो हमे पूर्वजों से मिली है।
नर्मदे हर

pankaj pateriya

पंकज पटेरिया
पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
9340244352 ,9407505651

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