---Advertisement---

झरोखा : कलेक्टर किस्सागोई – कविता और कलेक्टर

By
On:
Follow Us

– पंकज पटेरिया :
मृधन्य साहित्यकार डॉ परशुराम शुक्ल बिरही कहते हैं कविता मनुष्य के साथ आती है लेकिन मनुष्य के साथ जाती नहीं है। कविता कालजई होती है। यहां तक परमपिता सर्व शक्तिमान ईश्वर से भी सीधे संवाद कर भेंट करती है। कविता और उसकी शक्ति पत्थर को भी पिघलाने देने की अपरिमित क्षमता कविता में ही होती है।
कविता और एक साहब बहादुर कलेक्टर के मध्य घटी एक बहुत मार्मिक एपिसोड बतौर उदाहरण पेश है।
पुण्य सलिला नर्मदा जी की गोद में बसे होशंगाबाद में एक युवा आईएस ऊर्जावान युवराज जैसे प्रतीत होते कलेक्टर आशीष उपाध्याय ने आमद दी थी और अपने कामकाज तथा चुस्त दुरुस्त बेहतरीन शैली से जिले के आकाश में उन्होंने विकास और प्रगति के चार चांद लगाए थे।
मैं उन दिनों दैनिक भास्कर होशंगाबाद का ब्यूरो प्रमुख था। यह किस्सा उसी दौर का है। दरअसल कलेक्टर साहब के अंडर में तहसील में अरविंद श्रीवास्तव एक लिपिक कार्यरत थे। वे बहुत अच्छे कवि भी थे। गोष्ठियों में मेरी उनसे दुआ सलाम मुलाकात होती थी। उन्हीं ने कभी मुझे यह मार्मिक प्रसंग सुनाया था जिससे मेरे मन में आशीष जी के प्रति और भी सम्मान बढ़ गया था।
हुआ यूं की अरविंद भाई का किसी शिकायत के चलते निलंबन कर जिले में अन्यत्र ट्रांसफर कर दिया गया। इस आकस्मिक आय संकट से अरविंद बहुत दुखी हो गए। लिहाजा उन्होंने अपनी व्यथा कथा एक कविता में गुथी। उसके पहले जिलाधीश की दिनचर्या, उनकी व्यस्तता, भागा दौड़ी, कई कई तरह के दबाव, तनाव का बारीकी से अध्ययन किया और एक बहुत बढ़िया कविता उनकी मनस्थिति को अनुमान करते लिखी। जिसका शीर्षक था आशीष का आशीष।
उसकी शुरूआत की भावपूर्ण पंक्तियां थी “रोज सैकड़ों पत्र मिलते जिलाधीश, लेकिन किसी में नहीं लिखा होता कैसे हो आशीष” कुछ और कविताएं तैयार होने के बाद एक पुस्तिका में संकलित कर अरविंद ने कलेक्टर साहब को भेंट कर दी। इसके साथ ही अपने साथ हुए अन्याय की गुहार भी लगा दी। कविता ने कमाल कर दिया वह कविता संवेदनशील कलेक्टर के मन को छू गई चमत्कार हो गया। कलेक्टर साहब ने पूरे मामले की गहन छानबीन कर लिपिक को बहाल किया और पुनः उसी जगह पोस्ट कर दिया जहां वे पहले थे।
साहब बहादुर की सरलता और सहृदयता की एक और मिशाल का जिक्र करना यहां मौजू होगा। भास्कर में मेरे सहकर्मी मनीष दुबे के बड़े भाई सुनील दुबे कलेक्टर बंगले पर बतौर होमगार्ड तैनात थे। उनके शुभ विवाह का प्रसंग आया।आशीष जी तात्कालिक प्रमुख सचिव, जो बाद में मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव हुए आर परशुराम के साथ, जिले का दौरा कर, सुनील की शादी में मुबारकबाद देने रात करीब 10:00 बजे आना नहीं भूले। दिनभर की व्यस्तता और थकान की गहरी लकीरें उनके चेहरे पर पढ़ी जा सकती थी। मैं भी वहां था आगे बढ़कर मैंने हाथ मिलाकर स्वागत किया और कहा अरे वाह साहब आपको याद था। उन्होंने सहजता से उत्तर दिया क्यों नहीं।
मैंने बताया परशुराम साहब फ्रेंड्स स्कूल इटारसी में मेरे सहपाठी रहे हैं। उनके पिताश्री यहां एमपी में डीई थे। मेरा मन था उनसे मिलने का लेकिन व्यस्तता के चलते नहीं मिल पाया। उपाध्याय जी ने भी परशुराम जी की इटारसी पहुंचने पर हुई भावुक मनस्थिति की चर्चा मुझसे की। बाद में कलेक्टर ने सुनील के यहां सरलता और बेहद आत्मीयता से कुछ खाया पिया तथा उसे कुछ उपहार देकर बधाईयां दी और विदा ली। मैं भी उनके भद्र व्यक्तित्व और व्यवहार से अभिभूत हो गया।
करीब सन 2000 से 2003 तक होशंगाबाद में उनका कार्यकाल रहा। लेकिन आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। इन दिनों आशीष उपाध्याय जी भारत सरकार ऊर्जा विभाग में संभवत संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत हैं। आशा है वे वहां भी निष्ठा से राष्ट्र सेवा कर रहे होंगे। ईश्वर सदा स्वस्थ सानंद सुखी रखे।

Pankaj Pateriya e1601556273147
पंकज पटेरिया
संपादक शब्द ध्वज
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार एवं ज्योतिष सलाहकार
9893903003, 9407505692

For Feedback - info[@]narmadanchal.com
Join Our WhatsApp Channel
Advertisement
Nagarpalika Narmadapuram
Noble Computer Services, Computer Courses

Leave a Comment

error: Content is protected !!
Narmadanchal News
Privacy Overview

This website uses cookies so that we can provide you with the best user experience possible. Cookie information is stored in your browser and performs functions such as recognising you when you return to our website and helping our team to understand which sections of the website you find most interesting and useful.