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कविता: अपना देश

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ये देश अगर तेरा अपना है तो
तोड़ फोड़ की सहचार है क्यूँ
ये देश अगर तेरा अपना है तो
देश रक्षक पर पत्थराव है क्यूँ

ये देश अगर तेरा अपना है तो
देश के तिरंगे से खिलवाड़ है क्यूँ
ये देश अगर तेरा अपना है तो
दुश्मन आतंकियों से इतना प्यार है क्यूँ

ये देश अगर तेरा अपना है तो
राष्ट्रीय धरोहर पर है वार क्यूँ
ये देश अगर तेरा अपना है तो
हिन्दी हिंदू हिंदुस्तान से नफरत है क्यूँ

ये देश अगर तेरा अपना है तो
अलगाववादी से है प्यार क्यूँ
ये देश अगर तेरा अपना है तो
नक्सलवादियों से है व्यापार क्यूँ

ये देश अगर तेरा अपना है तो
देश द्रोह के साथ ये कार बार क्यूँ
ये देश अगर तेरा अपना है तो
वन्देमातरम् पे एतराज है क्यूँ

ये देश अगर तेरा अपना है तो
भारत माँ की जयकार पे,
भारत माता की जय बोलने पर
सवाल क्यूँ।

ये देश अगर तेरा अपना है तो
राष्ट्रभक्ति पे है एतराज क्यूँ
जय हिंद जय भारत बोलने
पर सवाल क्यूँ।

राजेश मालवीया
ग्राम–भीलाखेड़ी इटारसी, होशंगाबाद(म.प्र.)

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