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Guru Nanak Jayanti: गुरु पर्व पर हुए कीर्तन, लंगर में प्रसाद बांटा

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इटारसी। इस वर्ष कोरोना महामारी (Corona Mahamri) के कारण गुरु पर्व (Guru Parv) में लंगर (Langar) का स्वरूप कुछ बदला था। इस वर्ष बाहर से आने वाले रागी जत्थे नहीं आए। स्थानीय जत्थों के कीर्तन हुए और लंगर में बिठाकर खिलाने के स्थान पर भोजन प्रसाद के पैकेट्स बांटे गये। गुरुनानक जयंती के अवसर पर सुबह से ही गुरुद्वारा गुरुसिंघ सभा में सिख समुदाय के सदस्यों ने आकर दरबार में मत्था टेका और सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) के साथ बैठकर कीर्तन सुने।
श्री गुरुनानक देव की 551 जयंती प्रकाश पर्व पर गुरुसिंघ सभा के बेहतर इंतजामों के चलते श्रद्धालुओं ने सामाजिक दूरी भी कायम रही। दो गज की दूरी के साथ ही साध संगत ने गुरु के दरबार में मत्था टेककर प्रसाद ग्रहण किया। गुरुपर्व के अवसर पर सुबह से विशेष कीर्तन का दौर प्रारंभ हो गया था। स्थानीय रागी जत्था के महिला-पुरुष भजन गायकों ने तबला और हारमोनियम की पारंपरिक धुन पर गुरु महाराज के भक्तिमय कीर्तन प्रस्तुत किए। गुरुद्वारा कमेटी प्रधान जसबीर सिंह छाबड़ा (Gurudwara committee head jasbir singh chhabra) ने बताया कि गुरूनानक देव जी की जयंती पर पिछले एक माह से आयोजन हो रहे थे। रोजाना सुबह प्रभात फेरी, शबद कीर्तन पाठ चल रहा था। इसका सोमवार को समापन किया गया, यह पहली बार हुआ कि सादे रूप में जयंती मनाई गई। हर साल सिक्ख समुदाय द्वारा गुरूनानक जयंती पर पूरे शहर में भव्य जुलूस निकाला जाता था। देर शाम तक भजन सत्संग के बाद जयंती का समापन किया गया।

सिंधी समाज ने मनाई गुरुनानक जयंती
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श्रीकृपाधाम दरबार एवं गुरुनानक देव दरबार में भी गुरुनानक जयंती (Gurunanak jayanti) के आयोजन हुए। सिंधी कालोनी (Sindhi Colony) में इस अवसर पर दो अलग-अलग कार्यक्रम हुए। गुरुनानक देव दरबार गली नंबर तीन एवं कृपाधाम दरबार गली नंबर पांच में श्रीगुरुनानक देव का जन्मोत्सव मनाया गया। यहां भी सुबह से कीर्तन और अरदास का दौर शुरू हो गया था। प्रमुख सेवादार जगल जग्यासी ने गुरुग्रंथ साहब का पाठ किया। इस अवसर पर पूज्य पंचायत सिंधी समाज के अध्यक्ष अशोक लालवानी (Chairman Ashok Lalwani), पूर्व अध्यक्ष धर्मदास मिहानी (Former President Dharmadas Mihani), मोहनलाल मोरवानी, मोहन चेलानी सहित पंचायत एवं झूलण सेवा समिति के सभी सदस्यों ने गुरुग्रंथ साहब की आरती उतारी। महाआरती के बाद जन्मोत्सव मनाया और लंगर का प्रसाद वितरित हुआ। इसी प्रकार श्रीकृपाधाम दरबार में श्रीगुरुग्रंथ साहब (Gurugranth sahib) का दरबारे दीवान बाहर ही सजाया गया था। यहां भी सर्वप्रथम भक्ति संगीत का समागम हुआ। कृपाधाम दरबार के संचालक त्रिलोकदास ने गुरुनानक देव के भजन प्रस्तुत किए, केक काटा और प्रसाद वितरित किया।

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